BALI VASHV YAGYA
Price: 5/-



Product Detail

Author brahmavarchas
Description आहार शुद्धो सत्त्व शुद्धिः सत्त्व शुद्धौ ध्रुवा स्मृति, स्मृति लम्भे सर्वग्रथीनां विप्रमोक्षस्तस्मै मृदितकषायाय तमसस्पारं दर्शयति भगवान् सनत्कुमारः। (छांदोग्य उपनिषद्) अर्थात्- भोजन शुद्ध होता है तो अंतःकरण शुद्ध और पवित्र होता है और अंतःकरण अर्थात् सत्त्व शुद्धि से पूर्णतत्त्व परमात्मा का अनंत स्मरण होता है। इसी से सभी दोष, दुर्गुण और कुसंस्कार का नाश होता है। इसी तरह निष्पाप नारदजी को सनत्कुमार ने परमात्मा का साक्षात्कार कराया। भोजन का प्रभाव मनुष्य के गुण, कर्म, स्वभाव और संस्कार पर क्या होता है इस विषय में ब्रिटेन की मान्चेस्टर मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में एक प्रयोग किया गया था। सामान्यतः सफेद चूहे शांत प्रकृति के होते हैं। प्रयोगशाला में पालतू सफेद चूहों में से एक सफेद चूहे को अलग पिंजड़े में रखा गया और उसे मिर्च, गरम मसाले और नशायुक्त भोजन दिया गया। आठ दिन के बाद उसको सभी के साथ रखा गया तो उसने सभी चूहों को लहूलुहान कर दिया जो कि पहले शांत ही था। पुनः उसको अलग पिंजड़े में रखा गया और सादा भोजन सब चूहों जैसा एक माह तक दिया गया। वही चूहा पुनः शांत प्रकृति का हो गया। इससे यही साबित होता है कि भोजन से शरीर का पोषण ही नहीं मनुष्य का व्यक्तित्व यानि गुण, कर्म, स्वभाव और संस्कार बनते हैं। अपितु जैसा आहार, वैसा विचार। भोजन जिस उद्देश्य से कराया जाता है, उसका प्रभाव मन एवं आत्मा पर निश्चित रूप से पड़ता है | 1.बलि वैश्व महायज्ञ -Sticker 2.बलिवैश्य कुंड 3. परिवार में सुसंस्कार हेतु बलिवैश्व -Book
Dimensions 9 cm x 12 cm
Edition 2014
Language Hindi
PageLength 32
Preface अन्न को ब्रह्म का एक रूप कहा गया है । काया का समूचा ढाँचा प्रकारान्तर से भोजन की ही परिणति है । अन्न से प्राणी का जन्म, विकास परिपुष्टता और अन्नमय कोष बनता है । भोजन मुख में रखते ही उसका स्वादानुभव होता है और पेट में उसके सूक्ष्म गुण का अनुभव होता है । गीता में आहार के सूक्ष्म गुणों को लक्ष्य करके उसे तीन श्रेणियों में (सात्विक, राजसिक एवं तामसिक) में विभाजित किया गया है । अन्न के स्थूल भाग से शरीर के रस, रस से रक्त रक्त से माँस, माँस से अस्थि और मजा, मेद, वीर्य आदि बनते हैं । इसलिए शरीर शास्त्री और मनोवैज्ञानिक इस सम्बन्ध में प्राय: एक मत हैं कि जैसा आहार होगा वैसा ही मन बनेगा ।
Publication Yug nirman yojana press
Publisher Yug Nirman Yojana Vistara Trust
Size small



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