Author |
Pt. Shriram sharma |
Descriptoin |
बच्चों के मन में अध्यात्म एवं जीवन कला के विभिन्न सूत्र कथाओं के माध्यम से सरलता से स्थापित किये जा सकते हैं। इसी अवधि में मस्तिष्क का सर्वाधिक विकास होता है। भला-बुरा जो भी प्रभाव होता है, वे ग्रहण करते व तदनुसार अपना व्यक्तित्व विनिर्मित करते हैं। यह अभिभावकों व परिवार के संपर्क में आने वाले माध्यमों पर निर्भर है कि बालक-मन को वह किस प्रकार गढ़ते हैं। बाल निर्माण की कहानियों के भाग पिछले दिनों युग निर्माण योजना द्वारा प्रकाशित किए गए। प्रसन्नता की बात है कि विदेशी अथवा फूहड़ कॉमिक्स के सामने ये कहानियाँ सुरुचि, श्रेष्ठ ठहरी एवं परिजनों ने इन कथा पुस्तकों की भूरि-भूरि सराहना की। इनके कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। सोचा यह गया कि बालकों के लिए तो साहित्य लिखा गया और पसंद भी किया गया। उठती वय के किशोरों के लिए ऐसे साहित्य का सृजन अभी नहीं हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक माला इसी श्रृंखला की अगली कड़ी है। इसमें मूलतः किशोरों की दृष्टि में रखते हुए कथा साहित्य रचा गया है। लेखिका ने बाल मनोविज्ञान का बड़ी गहराई से अध्ययन किया है, वही अध्ययन अनुभव इन कथानकों के रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत हैं। |
Descriptoin |
बच्चों के मन में अध्यात्म एवं जीवन कला के विभिन्न सूत्र कथाओं के माध्यम से सरलता से स्थापित किये जा सकते हैं। इसी अवधि में मस्तिष्क का सर्वाधिक विकास होता है। भला-बुरा जो भी प्रभाव होता है, वे ग्रहण करते व तदनुसार अपना व्यक्तित्व विनिर्मित करते हैं। यह अभिभावकों व परिवार के संपर्क में आने वाले माध्यमों पर निर्भर है कि बालक-मन को वह किस प्रकार गढ़ते हैं। बाल निर्माण की कहानियों के भाग पिछले दिनों युग निर्माण योजना द्वारा प्रकाशित किए गए। प्रसन्नता की बात है कि विदेशी अथवा फूहड़ कॉमिक्स के सामने ये कहानियाँ सुरुचि, श्रेष्ठ ठहरी एवं परिजनों ने इन कथा पुस्तकों की भूरि-भूरि सराहना की। इनके कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। सोचा यह गया कि बालकों के लिए तो साहित्य लिखा गया और पसंद भी किया गया। उठती वय के किशोरों के लिए ऐसे साहित्य का सृजन अभी नहीं हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक माला इसी श्रृंखला की अगली कड़ी है। इसमें मूलतः किशोरों की दृष्टि में रखते हुए कथा साहित्य रचा गया है। लेखिका ने बाल मनोविज्ञान का बड़ी गहराई से अध्ययन किया है, वही अध्ययन अनुभव इन कथानकों के रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत हैं। |
Dimensions |
12X18 cm |
Edition |
2014 |
Language |
Hindi |
PageLength |
64 |
Preface |
उमा के घर के पीछे एक बबूल का पेड़ था । उमा अपने कमरे की खिड़की से उसे देखती रहती थी । एक दिन उसने देखा कि एक चिड़िया बार-बार आ-जा रही है । वह अपनी चोंच में छोटे-बड़े तिनके लाती है उन्हें वह पेड़ की डाल पर रखती जाती है । उमा ने देखा कि एक बड़ा सुंदर घोंसला बनना शुरू हो गया है । यह सुंदर उसने अपनी माँ से पूछा माँ- चिड़िया कैसा घोंसला बना रही है, पर हमारे घर में जो चिड़िया घोंसला बनाती है, वह तो इतना अच्छा नहीं होता । ऐसा क्यों है
माँ ने कहा- बेटी! पेड़ पर तुम जो घोंसला देख रही हो, वह बया नाम की चिड़िया का है । बया घोंसला बनाने के लिए बड़ी प्रसिद्ध है । इसके घोंसले बड़े ही सुंदर होते हैं । इसका कारण यह है कि यह जी-जान से अपने काम में जुटी रहती है । यह अपने काम को पूरी मेहनत और लगन के साथ करती है, इससे इसका काम अच्छा होता है ।
यह कहकर माँ तो रसोई में खाना बनाने चली गई । अब उमा को शरारत सूझी । उसने खिड़की में से एक डंडा डाला । डंडे से घीरे-धीरे हिलाकर घोंसला गिरा दिया । इतने में दाना चुगकर चिड़िया वापस आई, उसने देखा कि घोंसला गिर पड़ा है । कुछ तिनके बिखर गए हैं, कुछ हवा में उड़ गए हैं ।
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Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Size |
normal |
TOC |
Bal nirman Kahaniya Set :- Total 16 books |
TOC |
1. घोंसला
2. भेड़िया और बकरी
3. हठ का फल
4. मनमानी करने वाला
5. एकता का फल
6. बुराई करने वाला तोता
7. आज्ञाकारी बालक
8. केसरी की नादानी
9. चोरी का दंड
10. दो सहेलियाँ
11. जैसी करनी वैसी भरनी
12. बंदर की नासमझी
13. चंचल गिलहरी
14. हाथी और चींटी
15. बैल की ऊर्जा
16. सच्ची खुशी
17. मंत्री का चुनाव
18. किसान की परीक्षा
19. गीदड़ का विवाह
20. चूहे के कान लंबे क्यों ?
21. सियार की चालाकी
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