PRARTHAN JIVANT KAISHE BANE
Price: ₹ 18/-



Product Detail

Author Pandit Shriram Sharma Aacharya
Dimensions 179mmX120mmX5mm
Edition 2011
Language Hindi
PageLength 96
Preface संसार के अधिकांश धर्मों में प्रार्थना को प्रमुख स्थान दिया गया है । प्रार्थना की शक्ति अपार है । जब कोई भक्त भाव भरे अंत :करण से आर्त्त स्वरों में उस सर्व शक्तिमान परम पिता को पुकारता है तो भक्त की अटूट श्रद्धा और अविचल विश्वास, उसका सिंहासन हिला कर उसे सहायता करने के लिए विवश कर देता है । भक्तके अंत:करण की पुकार सुन कर भगवान सब नियम बंधनों को छोड़ कर प्रेम के वशीभूत होकर भक्त के हृदय में करुणा की रसधार बहा कर उसे तृप्त कर देते हैं । व्यक्तिगत प्रार्थना भी मन की स्वच्छता और अंत:करण की पवित्रता की मात्रा के अनुसार प्रभावशाली होती है, लेकिन सामूहिक प्रार्थना यदि सच्चे हृदय सेकी जाती है, तो चमत्कारी परिणाम उत्पन्न करती है । गणित में एकऔर एक मिलकर दो होते हैं, लेकिन अध्यात्म में एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं । इसी कारण वेद में सामूहिक प्रार्थना ओं का बाहुल्य रहा है । गायत्री मंत्र स्वयं एक सामूहिक प्रार्थना है जो सबके कल्याण के लिए की जाती है । सबके कल्याण में अपना कल्याण भी निहित रहता है, अत: प्रार्थना जन कल्याण के लिए करना ही श्रेष्ठ रहता है । प्रस्तुत पुस्तक अपनी प्रार्थना को जीवंत, सार्थक एवं प्रभावशाली बनाने के सभी पहलुओं पर जानकारी प्रस्तुत करती है ।इसका स्वाध्याय करके अन्य परिजनों को भी पढ़ाने का प्रयास करें ताकि लोग विश्व शांति एवं विश्व कल्याण के लिए सामूहिक प्रार्थना करें । सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख माप्नुयात् ।
Publication Yug Nirman Yogana, Mathura
Publisher Yug Nirman Yogana, Mathura
Size normal
TOC १ भूमिका २ प्रार्थना ३ प्रार्थना वास्तव में क्या है ? ४ प्रार्थना की आवश्यकता ५ प्रार्थना का तात्त्विक विश्लेषण ६ प्रार्थना की चमत्कारी शक्ति ७ सच्ची भावना की शक्ति-सामर्थ्य ८ प्रार्थना में शक्ति है ९ प्रार्थना के असंख्य लाभ १० आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रार्थना का स्थान ११ सबसे सीधा रास्ता १२ मनोविज्ञान की दृष्टि से प्रार्थना १३ गुप्त मन की प्रतिक्रियाएँ १४ उचित ढंग से प्रार्थना कीजिए १५ प्रार्थना का द्वितीय तत्त्व- एकाग्रता १६ तृतीय तत्त्व- सृजनात्मक ध्यान १७ चतुर्थ तत्त्व- आत्म निवेदन १९ प्रार्थना के भिन्न भिन्न रूप २० पुरूषार्थ पूर्ण प्रार्थना २१ दीप्तबल कैसे संग्रह करें ? २२ आकर्षक प्रार्थना की तीन अवस्थाएँ २३ सामुदायिक प्रार्थना बलशाली है २४ प्रार्थना के लिए सर्वोत्तम समय २५ प्रार्थना द्वारा रोग-निवारण २५ प्रार्थना - आत्मा की करुण पुकार २६ प्रार्थना में बडा़ बल है २७ प्रार्थना में दैनिक जीवन में स्थान मिले २८ प्रार्थना का स्वरुप, स्तर और प्रभाव २९ प्रार्थना का मतलब चाहे जो माँगना नहीं है ३० अंतरात्मा की सच्ची प्रार्थना ३१ प्रार्थना संबंधी गलतफहमियाँ ३२ आजकल के लोगों की दृष्टि में प्रार्थना



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