ALASYA CHHODIYE PARISRAMI BANIYE
Price: ₹ 7/-



Product Detail

Author Pt. Shriram Sharma Acharya
Dimensions 12 cm x 18 cm
Edition 2015
Language Hindi
PageLength 24
Preface पाप उन दुष्प्रवृत्तियों को कहते हैं जिसके कारण व्यक्ति का भविष्य बिगड़ता है और समाज का अध पतन होता है ।। चोरी, डकैती, व्यभिचार, बेईमानी, हत्या आदि कर्मों को इसीलिए पाप माना गया है कि उनका आचरण करने वाला आत्मिक दृष्टि से गिरता है, कुसंस्कारी बनता है, उसके स्वभाव में दुष्टता एवं अनैतिकता का प्रवेश होता है ।। इस प्रकार जिसका चरित्र एवं व्यक्तित्व गिरेगा उसका भविष्य अन्धकारमय बनेगा ।। लोग उससे घृणा करेंगे, विश्वास नहीं करेंगे, सहयोग न देंगे तो ऐसे अलग- थलग पड़े हुए व्यक्ति का भविष्य कैसे उज्ज्वल होगा ? उसे सरल जीवन बिताना कठिन हो जायगा ।। जो कर्म ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करते हैं, वे पाप की श्रेणी में ही गिने जायेंगे ।। उपर्युक्त प्रकार के दुष्कर्मों से समाज का अहित होता है ।। असुरक्षा का भाव फैलता है, लोग अपने जीवन तथा धन की रखवाली में बहुत सारी चिन्ता तथा व्यवस्था करते हैं ।। उतना समय तथा मनोयोग जो सुरक्षा व्यवस्था में लगा यदि किसी उत्पादक कार्य में लगा होता तो समृद्धि बढ़ती ।। दुराचरण से, क्षोभ से संघर्ष उत्पन्न होता है फलत: अशांति फैलने लगती है ।। एक को देखकर दूसरा वैसा ही करने के लिए उत्साहित होता है, इससे बुरी परम्परायें चल पड़ती हैं जिनके कारण सामाजिक व्यवस्था का ढाँचा चरमराने लगता है ।। इन अपराधों को रोके बिना कोई रास्ता नहीं इसके लिए पुलिस, जेल, अदालत आदि का प्रबन्ध करना पड़ता है ।। उनके खर्च का भार जनता पर टैक्सों के रूप में पड़ता है जिससे जन साधारण को असुविधा होती है ।। इन्हीं सब प्रतिफलों को देखते हुए चोरी, व्यभिचार आदि को पाप माना गया है ।। वैसे यह कार्य अपने मूल स्वरूप में बुरे नहीं है ।। पिता के उत्तराधिकार में बेटा मुफ्त ही धन पाता है, बेटी को विवाह के समय मुफ्त में ही उपहार मिलते हैं ।।
Publication Yug nirman yojana press
Publisher Yug Nirman Yojana Vistar Trust
Size normal
TOC 1. कानूनी पकड़ में न आने वाले पाप 2. मनुष्य शरीर एक वरदान 3. आलस्य बनाम दारिद्रय 4. शरीर रोगी तो मन रोगी 5. अनवरत श्रम- अज्रस उल्लास 6. संक्रामक एवं घृणित बीमारी 7. महिलाओं में भी यही रोग 8. श्रम का सम्मान 9. श्रम एक प्रत्यक्ष देवता है 10. अभी भी देर नहीं हुई 11. समय न गवाएँ 12. दरिद्र मनोवृत्ति छोड़ें 13. श्रम करना हमारा धर्म है 14. अवकाश की कमी नहीं



Related Products

ADHYATM KYA THA KYA HO GAYA ?

Price: ₹ 15/-

ADRASYA JAGAT KA PARYAVEKSHAN

Price: ₹ 16/-

BHARTIYA SANSKRITI JIVAN DARSHAN

Price: ₹ 33/-

CHHAPAN BHOG

Price: ₹ 40/-

DAVI SHAKTI KE ANUDAN VARDAN

Price: ₹ 15/-

DEV SANSKRITI KA MERUDAND VANPRASTH

Price: ₹ 9/-

DHARM KE 10 LAKSHAN PANCH SHEEL

Price: ₹ 12/-

DHARM TANTRA KI GARIMA AUR KSHAMTA

Price: ₹ 12/-

GAYATRI MAHAVIGYAN -3

Price: ₹ 65/-

GYAN KI MANOVAIGYANIK EVAM SAMAJ SASHTRIYA PADDHATI

Price: ₹ 10/-

ISHWAR SE SAZHEDARI NAFE KA SAUDA

Price: ₹ 12/-

KUCHH DHARMIK PRASHNO KE UCHIT SAMADHAN

Price: ₹ 10/-

KYA DHARM? KYA ADHARM?

Price: ₹ 15/-

MAHILAO KI GAYATRI UPASANA

Price: ₹ 9/-

MANDIR JAN JAGRAN KE KENDRA BANE

Price: ₹ 7/-

PRABUDDHA VARG DHARMTANTRA SAMBHALE

Price: ₹ 6/-

SAMSTA VISHWA KE AJASRA ANUDAN

Price: ₹ 90/-

TEERTH YATRA KYA, KYON, KAISE?

Price: ₹ 5/-

UDHREDATMANA UTMANAM

Price: ₹ 6/-

VIVEK KI KASAUTI

Price: ₹ 5/-

YUG NIRAMAN ISLAMI DRISTIKON

Price: ₹ 6/-