Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Dimensions |
12 X 18 cm |
Edition |
2015 |
Language |
Hindi |
PageLength |
24 |
Preface |
स्वच्छता मनुष्यता का गौरव
मनुष्य के प्रारम्भिक गुणों में स्वच्छता का प्रथम गौरव है ।। दूसरे जीवों में इस प्रवृत्ति की कमी पाई जाती है ।। वे अपने शरीर एवं निवास- स्थान को उतना स्वच्छ नहीं रख पाते जितना एक सुरुचिपूर्ण प्राणी के लिए आवश्यक है ।। मनुष्य की अनेक विशेषताओं में एक विशेषता यह भी है कि वह मलीनता से घृणा करता है और स्वच्छता से प्रेम ।। स्वभावतः: उसे सफाई पसन्द है ।। नाक और आँख इस सम्बन्ध में उसे सदा सतर्क करती रहती हैं ।। गन्दगी देखने में अप्रिय लगती है ।। जैसे ही हम किसी गन्दी, घिनौनी चीज को देखते हैं, चित्त में घृणा उत्पन्न होती है और उसे सुधारने या छोड़ने की इच्छा होती है ।। गन्दी चीजों का स्वरूप ही घृणित नहीं होता, वरन् उसे स्पर्श करके बहने वाली वायु भी दुर्गन्धित होती है ।। नाक तुरन्त ही उसे पहचान लेती है ।। दुर्गन्ध सूँघते ही घृणा होती है और उस वस्तु से दूर हटने को मन करता है ।। इसका तात्पर्य है कि मानव- प्रकृति ईश्वर ने ऐसी बनाई है जिसके अनुसार उसे गन्दगी को दूर करने व स्वच्छता अपनाने की प्रेरणा मिलती रहे ।।
इस ईश्वर प्रदत्त गुण का हमें अधिकाधिक विकास एवं सदुपयोग करना चाहिए ।। इसी में मनुष्यता का गौरव एवं सम्मान है ।। हमारी रुचि ऐसी परिष्कृत होनी चाहिए जिसमें गन्दगी असह्य हो उठे ।। स्वच्छता प्राप्ति के लिए कितना ही श्रम करना पड़े तो भी संकोच न हो ।। हम यह अनुभव करें कि स्वच्छता जैसी श्रेष्ठता प्राप्त करने के लिए जो कष्ट सहा जाय, जो भी खर्च किया जाय वह कम ही है क्योंकि स्वच्छता से होने वाली आत्म तुष्टि की तुलना में गन्दगी हटाने की कठिनाई ओर व्यय नगण्य मानी जायगी ।। |
Publication |
Shree Vedmata Gayatri Trust (TMD) |
Publisher |
Shree Vedmata Gayatri Trust (TMD) |
Size |
normal |
TOC |
1. स्वच्छता और स्वास्थ्य का अनन्य सम्बन्ध
2. गन्दगी हटाने में उत्साह रहे
3. अधूरे काम गन्दगी के अम्बार
4. सफाई सभ्यता का अंग
5. गंदगी यत्र-तत्र-सर्वत्र
6. स्वच्छता सांस्कृतिक सद्गुण
7. गन्दगी रोग की जननी
8. मल-मूत्र का आर्थिक महत्व, उसका सदुपयोग
9. मल एक सुन्दर खाद
10. इसे बर्बाद न करें तो
11. हमारी कठिनाइयाँ
12. गन्दगी निवारण के रचनात्मक उपाय
13. देव समाज की रचना
14. सफाई हमारा स्वभाव बने
15. स्त्रियाँ सोचें, समझें और करें
16. सामाजिक कार्यकर्ताओं के कर्तव्य
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