VRAKSHAROPAN EK PUNIT PUNYA
Price: ₹ 8/-



Product Detail

Author Pt. Shriram Sharma Aacharya
Dimensions 12 X 18 cm
Language Hindi
PageLength 32
Preface हमारे धर्म और संस्कृति में जो स्थान विद्या- व्रत, ब्रह्मचर्य, ब्राह्मणत्व, गऊ, देव, मन्दिर, गंगा, गायत्री एवं गीता- रामायण आदि धर्म- ग्रन्थ सबको दिया गया है, वैसा ही वृक्षों को भी महत्व दिया गया है ।। यह महत्व उन्हें उनके द्वारा प्राप्त होने वाले लाभों को देखते हुए ही दिया गया है ।। शास्त्रकार ने लिखा है- रविश्चन्द्रो द्या वृक्षा नद्योगावश्च सज्जनाः ।। ऐते परोपकाराय युगे दैवेन निर्मिता: ।। परम पिता परमात्मा ने सूर्य, चन्द्रमा, बादल, वृक्ष, नदियाँ, गायें और सज्जन पुरुषों का आविर्भाव संसार में परोपकार के लिए किया है ।। सब सदैव परोपकार में ही रत रहते हैं ।। उपरोक्त उक्ति में ऋषि ने अन्य परोपकारियों में वृक्ष को भी समान दर्जा दिया है और यह स्पष्ट किया है कि एक सज्जन पुरुष और वृक्ष में गुणों की दृष्टि से कोई भेद नहीं है ।। जिस प्रकार सज्जन व्यक्ति समाज के हित और कल्याण में तत्पर रहते हैं वृक्ष भी उसी तरह "परोपकारातमिदंशरीर" का लक्ष्य बनाकर प्राणिमात्र के हित में अपने आपको तिल- तिल कर उत्सर्ग करते रहते हैं ।। वृक्ष में देवत्व की प्रतिष्ठा स्वीकार करते हुए गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है- अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणं देवर्षीणं नारद: ।। गन्धर्वाणां चित्ररथ: सिद्धानां कपिलोमुनि: ।। अर्थात्- हे धनञ्जय! समूर्ण वृक्षों में मैं पीपल वृक्ष हूँ, देव ऋषियों में नारद, गन्धर्वों में चित्ररथ तथा सिद्धों में कपिल मुनि मैं ही हूँ ।।
Publication Yug Nirman Yojna Trust, Mathura
Publisher Yug Nirman Yojna Trust
Size normal
TOC 1. वृक्षारोपण एक पुनीत पुण्य 2. वृक्षों के विपुल वरदान, वृक्ष आध्यात्मिक प्रशिक्षक 3. जल दाता जीवन दाता 4. वृक्ष नाम रेगिस्तान 5. वन उद्योग से राष्ट्रीय सम्पत्ति का विकास 6. ईंधन और खाद 7. मानव जाति के अनन्य सेवक वृख 8. वृक्षों से आर्थिक लाभ भी कम नहीं 9. प्राणदाता आरोग्य दाता 10. वृक्ष या धन्वन्तरि 11. सौन्दर्य और कला प्रेरक 12. आपके देव हमारे अन्न दाता 13. फसलों के रक्षक 14. वृक्ष नहीं कर्ण और दधीचि कहिये 15. वृक्षों का ऋण कैसे चुकायें 16. वृक्षारोपण सप्ताह 17. घरों के आसपास विद्यालय और देवालय 18. बड़े बाग और उनकी व्यवस्था 19. वन सम्पदा का संरक्षण भी आवश्यक है



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