Author |
Udhyan evam jadi buti vibhag |
Dimensions |
14 cm x 21 cm |
Edition |
2011 |
Language |
Hindi |
PageLength |
92 |
Preface |
युग निर्माण अभियान के जनक वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ पं० श्रीराम शर्मा आचार्य ने किसी संदर्भ में कहा था- “जड़ी-बूटियाँ देश को स्वास्थ्य और सम्पन्नता दोनों दे सकती हैं ।“ उस समय उनके कथन की गहराई भले ही समझ में न आयी हो, वर्तमान परिस्थितियों की समीक्षा करने से यह बात बहुत स्पष्ट रूप से समझ में आने लगी है ।
जैसे-
1.लगता है प्रकृति ने जड़ी-बूटियों के गुणों को नये सिरे से उकेरना-उभारना शुरू कर दिया है । एलोपैथी जैसी स्थापित उपचार पद्धतियों के मुकाबले भी जड़ी-बूटी चिकित्सा अपना महत्त्व स्थापित करती जा रही है ।
2.जन सामान्य से लेकर प्रबुद्धों और सम्पन्नों में जड़ीबूटी आधारित उत्पादों के प्रति अभिरुचि बढ़ रही है । विशेषज्ञ और चिकित्सक वर्ग भी अनेकों शोध-प्रयोग करके जड़ी-बूटी आधारित नये-नये उत्पाद उपलब्ध करा रहा है ।
3.जडी़-बूटियों की बढ़ती निर्विवाद उपयोगिता के कारण उनकी कीमतें राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में काफी ऊँची हो गयी है ।
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Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistar Trust |
Size |
normal |
TOC |
1. मुश्कदाना/कस्तूरी भण्डी
2. अपामार्ग अथवा लटजीरा
3. बच अथवा उग्रगंधा
4. अडू़सा अथवा वासा
5. कालमेघ अथवा कल्पनाथ
6. शतावर अथवा बहुसुता
7. सिन्दूरी अथवा रक्तपुष्प
8. सनाय अथवा सोनामुखी
9. चकवड़ अथवा चक्रमर्द
10. सदाबहार (सदाफूली)
11. सफेद मूसली
12. हड़जोड अथवा अस्थि शृंखला
13. इन्द्रायण अथवा तुम्बा
14. गुग्गुल अथवा देवधूप
15. पाषाणभेज अथवा पत्थरचूर
16. केवकंद अथवा केयोकंद
17. काली मुसली
18. काली हल्दी अथवा नरकचूर
19. हल्दी अथवा हरिद्रा
20. नीबू घास
21. नागरमोथा अथवा नागर मुस्तिका
22. धतूरा अथवा धतूर
23. तिलपुष्पी
24. ऑवला अथवा आमला
25. कलिहारी अथवा अग्निशिखा
26. मुलेठी अथवा यष्ठीमधु
27. गुड़मार अथवा मधुनाशिनी
28. ईसबगोल
29. रतनजोत अथवा जंगली एरण्ड
30. जापानी पोदीना
31. कौंच अथवा केवांच
32. तुलसी अथवा सबजा
33. आर.आर.एल.ओ.सी. (तुलसी की एक उन्नत किस्म)
34. पिप्पली अथवा लेंडी पीपल
35. बाकुची अथवा बावची
36. सर्पगन्धा अथवा चन्द्रभागा
37. शरपुंखा अथवा सरफोंका
38. गिलोय अथवा अमृता
39. जटामांसी अथवा तगर
40. अश्वगंधा अथवा असगंध
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