Preface |
निःसंदेह परम पूज्य गुरुदेव की युग निर्माण योजना एवं ग्राम विकास की ग्रामतीर्थ अन्योन्याश्रित है, क्योकि आज भी दो तिहाई भारत गाँवो मे बसता है, जनगणना के जो प्रारम्भिक आँकडे़ प्रकाशित हुए है, वह इस बात की पुष्टि भी करते है। अतः युग परिवर्तन की प्रत्येक योजना हमे ग्राम केन्द्रित ही रख्नी होगी ।। युगऋषि पूज्य गुरुदेव का यह मानना है कि अर्थव्यवस्था का सर्वाधिक विरोधाभासी पहलू यह रहा है कि भारत का विकास, भारतीय सोच एवं भारतीय मानसिकता के साथ न करके उसे यूरोप एवं अमेरिकी मॉडल पर आधारित किया गया है, जबकि इन देशों की परिस्थितियाँ भारतीय परिवेश से सर्वदा भिन्न रही ।। प्रचुर श्रमशक्ति जो कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए वरदान हो सकती थी, वह अर्थव्यवस्था के गलत मॉडल का चयन करने के कारण एक अभिशाप बनकर हमारे लिए बेरोजगारी, अशिक्षा एवं गरीबी का मूल कारण सिद्ध हो रही है ।। गाँवों से पलायन शहरों का असंतुलित विस्तार, अमीरों एवं गरीबों के बीच चौड़ी होती खाई इसी गलत अर्थव्यवस्था के चयन का दुष्परिणाम है ।।
युग परिवर्तन के इस संक्रमण काल में हमें युगऋषि के संकेतों को समझते हुए ग्रामतीर्थ योजना के विराट कलेवर को अंगीकार करना होगा ।। जब तक भारत के गाँवों का समग्र विकास नही होगा, तब तक भारत के विकास की परिकल्पना कोरा दीवास्वप्न ही है ।। एक संस्कारयुक्त- व्यसनमुक्त, स्वच्छ- स्वस्थ शिक्षित स्वावलम्बी गाँव ही युग परिवर्तन के विशाल वट वृक्ष को बीज रूप में अपने में समाहित किये हुए है ।। हमें तो बस अपने स्तर से अनुकूल वातावरण तैयार करना है ।। गाँव में बसने वाली प्रचुर युवा श्रम शक्ति स्वयं ही अपने विकास की राह अपने संसाधनों से खोज लेगी ।। गाँवों का विकास ऋषि सूत्रों पर आधारित आध्यात्मिक अर्थ व्यवस्था से ही सम्भव है ।। |
TOC |
1.कपास
2.ऊन
3.ऊनी रेशे की वैज्ञानिक संरचना
4.ऊन की छटाई, सफाई व कताई
5.मिल में कताई
6.तकली से कताई
7.चरके से कताई
8.रेशम
9.जूट
10.कृत्रिम रेशे
11.धागे का नम्बर ज्ञात करने की विधियों
12. रंगाई
13.माड़ी लगाना (साईजिंग)
14.ब्लीचिंग (विरंजन)
15.सूती रेशे की रंगाई
16.रिएक्टिव रंग
17. रेमाझोल से रंगाई
18.भांड के रंग (वैट रंग)
19.नेप्थाल रंग
20.ऊन की रंगाई
21.विरंजन विधि (ब्लीचिंग)
22.एसिड रंगाई
23.मैटल कम्पलेक्स रंग
24.क्रोम रंग
25.रिएक्टिव रंग
26.प्राकृतिक रंगाई
27.वनस्पति पदार्थों से रंग निकालना
28.छपाई (प्रिटिंग)
29.फिनिशिंग
30.रेशों की जांच
31.रेशे में नमी की जाँच
32.धागे की मजबूती
33.क्रीज रिकवरी को जाँचना
34.बुने हुए कपड़े की जाँच
35.हथ करघे के प्रकार
36भारतीय करघा या Throw Shuttle Loom
37.फ्लाई शटल फ्रेम लूम
38.हथ करघा के भाग
39.बुनाई की प्रारंभिक प्रक्रियाएँ
40.ताना लगाना या वार्पिंग
41.भर्ती के प्रकार
42.बुनाई की गतियाँ
43.द्वितीय गतियाँ
44.लम्बरूपी करघा
45.डोबी, जैकार्ड
46.धारीदार व चौखाने कपड़ा बनाने में सावधानियाँ
47. बुने हुए कपड़े की जानकारी व कमियाँ
48. रंग
49.वस्त्र के विभिन्न अवयवों की रंगने की प्रक्रिया
50.रंगों के प्रकार
51.डिजाइन
52.ग्राफ पेपर या डिजाइन पेपर
53.प्लेन बुनाई
54.ट्वील बुनाई
55.ट्वील के प्रकार
56.रंग और बुनाई के प्रभाव
57.उत्तराखण्ड के खादी वस्त्र व उनकी डिजाइनिंग
58.कोटपट्टी (Tweed)
59.शाले
60.मफ्तर
61.कम्बल, नमदा, थुलमा
62.चुटका, दुमकर |