Author |
Brahmavarchasva |
Dimensions |
12X18 cm |
Language |
Hindi |
PageLength |
214 |
Preface |
पूज्य गुरुदेव वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ, युगऋषि पं ० श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने इस युग की समस्याओं के समाधान तथा नवयुग सृजन का संकल्प साकार करने के लिए "विचार क्रान्ति" का शंखनाद किया । उन्होंने बतलाया कि मनुष्य की हर क्रिया के पीछे एक जीवन्त विचार सक्रिय होता है । सामाजिक जीवन में कोई भी परिवर्तन करना हो, क्रान्ति करनी हो, तो उसके अनुरूप विचार परिवर्तन या विचार क्रान्ति अनिवार्य है । विषम परिस्थितियों के समाधान तथा श्रेष्ठ परिस्थितियों के निर्माण के लिए उन्होंने प्रचण्ड तप साधना करके अत्यन्त तेजस्वी, युगानुकूल विचार सम्पदा प्रदान की । इसके लिए उन्होंने जीवन की हर दिशा में मार्गदर्शन देने वाला साहित्य, हजारों छोटी-बड़ी पुस्तकों के रूप में प्रस्तुत किया तथा उसके विस्तार के लिए ज्ञानयज्ञ की योजना भी चलाई ।
साहित्य का लाभ जन-जन तक पहुँचाने में देश की निरक्षरता बाधक बनती है । साक्षरता विस्तार के लिए प्रबल प्रयास तो किए जाने हैं, लेकिन तब तक समस्याओं के समाधान के प्रयासों को रोका भी तो नहीं जा सकता । इसलिए साहित्य के साथ वाणी की सक्षमता का उपयोग भी व्यापक स्तर पर करने की कार्य योजना तैयार की गई ।
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Publication |
Yug Nirman Yojana Vistar trust, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Press, Mathura |
Size |
normal |
TOC |
1. व्यक्तित्व संपन्न वक्ता का प्रभावी प्रवचन
2. काया की सशक्त प्रयोगशाला और शब्द शक्ति की ऊर्जा
3. वाणी की शक्ति एवं प्रखरता
4. वाणी में सामर्थ्य का उद्भव
5. भाषण कला का आरम्भ और अभ्यास
6. वक्ता को अध्ययनशील होना चाहिए
7. सरल भाषण की कसौटी
8. भाषण और भावाभिव्यक्ति का समन्वय
9. सभा मंच पर जाने से पूर्व इन बातों का ध्यान रखें
10. भाषण का स्तर न गिरने दें
11. आरम्भिक कठिनाई का समाधान आधी सफलता
12. प्रगति इस प्रकार संभव होगी
13. अभ्यास क्रम के लिए सुगम अवलम्बन श्रोताओं को नियमित रूप से उपलब्ध करने की सरल प्रक्रिया
14. वक्ताओं को ही श्रोता भी जुटाने पड़ेंगे
15. संभाषण के कुछ सारगर्भित सिद्धान्त
16. मात्र भाषण ही नहीं, साथ में गायन भी
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