HARIJAN UTKASH KE LIYE BADE.....
Price: ₹ 6/-



Product Detail

Author Pt shriram sharma acharya
Dimensions 12 cm x 18 cm
Edition 2010
Language Hindi
PageLength 32
Preface भारतीय समाज को दुर्बल और कलंकित करने वाली कुप्रथाओं में ऊँच-नीच और छूत-छात का स्थान सबसे ऊँचा है । मनुष्य-मनुष्य एक समान हैं । ईश्वर ने उन्हें एक ही साँचे-ढाँचे में बनाया है । धर्म और जाति का विभागीकरण मनुष्यकृत है । कार्य-पद्धति की सुविधा के लिए कोई वर्ण, वर्ग बन सकते हैं उनके नाम संकेत भी अलग हो सकते हैं पर इसका अर्थ यह नहीं कि किसी को मानवोचित नागरिक अधिकारों से इसलिए वंचित किया जाय कि वह तथाकथित पिछड़ी हुई जाति में पैदा हुआ है । इसी प्रकार किसी को इस कारण भी अपने को ऊँचा समझने का अहंकार न करना चाहिए कि वह अमुक तथाकथित उच्च कुल में पैदा हुआ है । मनुष्यों की उत्कृष्टता-निकृष्टता उसके गुण, कर्म स्वभाव पर निर्भर रहती है वंश पर नहीं । यही उचित और यही विवेक संगत है । किन्तु दुर्भाग्य से हिन्दू समाज में ऐसी प्रथा चल पड़ी है कि अपने ही समाज धर्म एक वंश, देश और संस्कार के व्यक्तियों को नीच अछूत आदि कहकर उन्हें तिरस्कृत-बहिष्कृत जैसी स्थिति में पटक दिया गया है । आज के जनतान्त्रिक और मानवीय अधिकारों की मान्यता वाले युग में इस प्रकार की अन्याययुक्त मान्यताओं के लिए कोई स्थिति नहीं हो सकती कि गुण कर्म स्वभाव की दृष्टि से अपने ही जैसे लोगों को अछूत कहकर अलग-अलग कर दिया जाय । इससे हिन्दू समाज की पिछले दिनों अपार हानि हुई है यदि समय रहते इस मूढ़ता में सुधार न किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब हिन्दू-जाति को अपने अस्तित्व से वर्चस्व से हाथ धोने के लिए तैयार रहना होगा । छूआछूत और ऊँच-नीच की इस अन्यायमूलक सामाजिक दुष्प्रवृत्ति को दूर किए बिना भारतीय राष्ट्र वांछित गति से प्रगति नहीं कर पायेगा । भारत की प्रगति का पथ-प्रशस्त करने के लिए अनेक शर्तो में एक शर्त यह भी है कि भारत की अछूत जाति का उद्धार किया जाये ।
Publication Yug Nirman Yojana Vistara Trust
Publisher Yug Nirman Yojana Vistara Trust
Size normal
TOC • हरिजन उत्कर्ष के लिए बड़े कदम उठे • धर्म भेद नहीं सिखाता • इस कलंक को पूरी तरह मिटाना ही होगा • सवर्ण हिन्दू यह करें • जूठन न दें, न लें • प्रगतिशीलता की पुकार • अपने उत्कर्ष का आप प्रयत्न • शिक्षित हरिजन यह करें • मानसिक विकास के लिए यह करें • अंध विश्वास का निराकरण • हरिजन साधुओं का विशेष कर्त्तव्य • हरिजन क्रिस्तान न बनें • सेवा-निवृत्त वयोवृद्ध इधर कदम बढा़वें • सुविधा उत्पन्न करने के रचनात्मक कार्य • हरिजन-उत्थान मानव-गरिमा की प्रतिष्ठा



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