BHAVYA SAMAJ KI NAVYA RACHANA
Price: ₹ 31/-



Product Detail

Author Pt. Shriram sharma
Dimensions 12X18 cm
Language Hindi
Preface भारतीय समाज-रचना बहुत प्राचीन है । यद्यपि विदेशियों तथा विधर्मियों (मुसलमानों और ईसाइयों) के शासन में सैकडों वर्षों तक रहने और उनके अत्याचारों के कारण उसमें ऐसे अनेक दोष पैदा हो गए है जिनके आधार पर आधुनिक सभ्य जगत में आक्षेप किए जाते है, तो भी उसमें कितनी ही विशेषताएँ ऐसी हैं, जिनके बल पर वह आज भी जीवित है और संसार में अपना मस्तक ऊँचा उठा सकती है । वास्तविकता यह है कि हमारे देश के महान मनीषियों ने उसका मूल आधार उन शाश्वत सिद्धांतों पर रखा है जिन पर मानव प्राणी की व्यक्तिगत और समूहगत प्रगति संभव है, । यही “सनातन धर्म” शब्द का वास्तविक तात्पर्य है । पर वर्तमान समय में परिवर्तन-चक्र के प्रभाव से दुनिया में ऐसी अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं, जिनका समाधान केवल प्राचीन विधि-विधानों से नहीं हो सकता । विशेषत: वर्तमान समय का प्रजातंत्र शासन और व्यापार तथा कल-कारखानों की अभूतपूर्व वृद्धि जिसको कितने ही विद्वान "यांत्रिक सभ्यता" के नाम से पुकारते हैं, ऐसी समस्या है जिन पर हमको आधुनिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही विचार करना पड़ेगा । यद्यपि हमको अपने प्राचीन “आस्तिकता”, “ईश्वरीय निष्ठा”, “सर्वभूतहितेरता” आदि मूल सिद्धांतों की रक्षा अब भी दृढ़तापूर्वक करनी है, पर अपने बाह्य व्यवहारों में समयानुकूल परिवर्तन किए बिना अब काम चल सकना असंभव है । इस पुस्तक में आधुनिक सभ्यता और “यंत्रीकरण” के कारण उत्पन्न दोषों पर विचार करके भ्रष्टाचार, मिलावट, पार्टीबंदी, बेकारी, अनुशासनहीनता, नशेबाजी आदि ऐसी समस्याओं पर विचार किया गया है, जो गत दो-तीन सौ वर्षों के भीतर यूरोपियन सभ्यता के कारण संसार भर में व्याप्त हो गई है ।
Publication Yug Nirman Yogana, Mathura
Publisher Yug Nirman Yogana, Mathura
Size normal
TOC 1. समाज का पुनर्निर्माण अत्यावश्यक 2. समाज-सुधार की अनिवार्य आवश्यकता 3. व्यक्ति का समाज के प्रति दायित्व 4. समाज का ऋण चुकाने के लिए आगे बढ़े 5. स्वाधीनता के बाद स्वराज्य की स्थापना 6. राजनीति का आधार धर्मनीति ही बने 7. भ्रष्टाचार-मानव जीवन का गहरा पतन 8. भ्रष्टाचार कैसे दूर किया ? 9. हमारी चरित्र भ्रष्टता कैसे मिटे ? 10. ऊँच-नीच का भेदभाव एक भयानक खतरा 11. जातिवाद का भयंकर अभिशाप 12. हम अपनी इस दुर्बलता को मिटाएँ 13. राष्ट्र की आधी शक्ति क्या पंगु ही बनी रहेगी ? 14. हमारे समाज का अभिशाप-बाल-विवाह प्रथा 15. अश्लीलता एक सामाजिक अपराध है 16. खाद्य समस्या-हमारे जीवन-मरण की समस्या 17. अन्न संकट दूर करने के हम यह करें 18. कृपया अन्न की बरबादी न कीजिए 19. दावतें, मृतक-भोज व झूठन छोड़ना 20. खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्या 21. खाद्य पदार्थों में मिलावट कैसे दूर हो ? 22. समाज का कलंक-भिक्षा व्यवसाय 23. छात्रों की अनुशासनहीनता कैसे हटे ? 24. बेकारी की समस्या एवं उसका हल 25. सचमुच बेकारी एक समस्या है 26. अशिक्षा के कलंक से राष्ट्र की मुख कालिमा मिटाई जाए 27. नशा बहुत बडा दुर्व्यसन है 28. तंबाकू से होने वाली हानि पर ध्यान दिया जाए 29. शुद्ध मनोरंजन उपयोगी ही नहीं आवश्यक भी 30. उत्सवों के नाम पर उद्दंडता अवांछनीय है 31. सामाजिक कुरूतियाँ कैसे मिटें ? 32. इस व्यापक बेईमानी को हटाया मिटाया जाए



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