RISHI YUGM KI JHALK JHANKI[SANSANSMARAN]
Price: ₹ 65/-

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Product Detail

Author mahila mandal
Dimensions 14 cm x 22 cm
Edition 2014
Language Hindi
PageLength 262
Preface यदा- यदा हि धर्मस्य.... की प्रतिज्ञा निभाने वाले परम स्रष्टा जब धरती पर अवतरित होते हैं, तब स्वयं को इतना गुप्त रखते हैं कि उनके सान्निध्य में निरन्तर कार्यरत व्यक्ति भी उन्हें ठीक से नहीं जान पाते ।। कभी झलक भी मिलती है, तब उन्हें एकटक देखते हुए यह सोचते हैं कि क्या ये सचमुच ईश्वर रूप हैं ?? उनके इस प्रकार सोचते ही मायापति अपनी माया से उन्हें आच्छादित कर देते हैं व फिर अति सामान्य की तरह सब के साथ वही सामान्य जीवन क्रम चलता रहता है ।। उन्हें भान ही नहीं हो पाता कि वे उस परमसत्ता के साथ, उनके अंग- अवयव बन कर जीवन जी रहे हैं ।। यही तो है लीलापति की लीला ।। "सोई जानइ जेहि देहु जनाई" की उक्ति पूर्णत: तब चरितार्थ होती है जब उनकी असीम अनुकम्पा से कोई- कोई भक्त उन्हें जान पाता है ।। जानने के बाद भी उनकी आकांक्षा के अनुरूप साथ चलने की सामर्थ्य जुटाने हेतु भी उनकी कृपा की आवश्यकता होती है ।। तभी तो अर्जुन जैसे समर्पित अभिन्न कृष्ण सखा को भी कहना पड गया कि "कार्पण्य दोषोपहृत स्वभाव:... ।। कायरता के दोष से मेरा स्वभाव आहत हो गया है ।। धर्म के विषय में मैं मोहित चित्त हो गया हूँ अत: मैं आपसे पूछता हूँ जिस कार्य से मेरा निश्चित भला हो, वही मार्ग बताइये ।" तब हम सामान्य जनों की क्या बिसात कि उनकी कृपा के बिना उन्हें पहचान सकें, उनकी राह चल सकें ।। प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे ही स्वजनों के गुरुसत्ता कें साथ जुड़े प्रसंगों को प्रकाश में लाने का प्रयास किया गया है, जिससे भावी पीढ़ी भी पिछली पीढी के कार्यों को जाने व समझे ।। अपनी समस्याओं के निदान हेतु उससे मार्ग दर्शन प्राप्त कर सके व अपनी श्रद्धा और समर्पण को निरंतर बढ़ाती रह सके ।।
Publication Yug nirman yojana press
Publisher Yug Nirman Yojana Vistara Trust
Size normal
TOC 1. ममता की मूर्ति, प्यार के सागर 2. यह तो गूँगे का गुड़ है 3. गुरुसत्ता के साथ मनोविनोद के क्षण 4. हम पाँच शरीरों से काम कर रहे हैं 5. साक्षात् शिव स्वरूप 6. वे तंत्र के भी मर्मज्ञ थे 7. भविष्य द्रष्टा हमारे गुरुदेव 8. बच्चो! हमारा जन्म-जन्मांतरों का साथ है 9. लाखों का जीवन बदला 10. बेटा! हम सदा तुम्हारे साथ रहेंगे 11. जिसने जो माँगा, वो पाया 12. भागीदारी की, नफे में रहे 13. उनकी चेतना आज भी सक्रिय है



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