SANSKRITI KI SEETA KI WAPSI
Price: ₹ 10/-



Product Detail

Author Pt Shriram sharma acharya
Dimensions 12 cm x 18 cm
Edition 2010
Language Hindi
PageLength 48
Preface मित्रो ! संस्कृति की सीता का रावण ने अपहरण कर लिया था, तब भगवान् रामचन्द्र जी राक्षसों समेत रावण को मारकर सीता को वापस लाने में सफल हुए थे। इतिहास की वह पुनरावृत्ति फिर से होनी है। मध्यकाल में हमारी संस्कृति की सीता को वनवास हो गया। साम्प्रदायिकता इस कदर फैली, मत- मतान्तर इस कदर फैले, बाबाजियों ने अपने- अपने नाम के इतने मजहब इस कदर खड़े कर लिए कि हिन्दू समाज का एक रूप ही नहीं रहा। संस्कृति के साथ में अनाचार शामिल हो गया। बुद्ध के जमाने में ऐसा भयंकर समय था कि हमारी संस्कृति उपहास का कारण बन गयी थी। घिनौने उद्देश्यों को संस्कृति के साथ में शामिल कर दिया गया था। पाँच काम बड़े घिनौने माने जाते हैं और इन पाँचों कामों को भी धर्म के साथ जोड़ दिया गया था और संस्कृति को कलंकित कर दिया गया था। ये पाँचों हैं—‘‘मद्यं मांसं तथा मत्स्यो मुद्रा मैथुनमेव च। पञ्चतत्त्वमिदं देवि! निर्वाण मुक्ति हेतवे ॥ ’’ ये पाँचों घिनौने काम संस्कृति के साथ शामिल हो गये। और मित्रो ! यज्ञ का रूप कैसा घिनौना हो गया था? आपको मालूम नहीं है, तब मनुष्यों को मारकर होम दिया जाता था घोड़ों और गौवों तक को होम दिया जाता था। वह क्या था? वह संस्कृति का वनवास काल था और अब क्या हो गया ? अब बेटे, संस्कृति की सीता रावण के मुँह में (अपसंस्कृति के कब्जे में) चली गयी, जहाँ बेचारी की जान निकल जाने की उम्मीद है और जहाँ से वापस आने का ढंग दिखाई नहीं पड़ता। सीता राक्षसों के मुँह में से कैसे निकलेगी? चारों ओर समुद्र घिरा हुआ है। उस (मूढ़ मान्यताओं अनगढ़ परम्पराओं रूपी) समुद्र को कौन पार करेगा ? रावण कितना जबरदस्त है ? राक्षस (मनुष्य में व्याप्त आसुरी प्रवृत्तियाँ) कितने जबरदस्त हैं? इनसे लोहा कौन लेगा?
Publication Yug nirman yojana press
Publisher Yug Nirman Yojana Vistara Trust
Size normal
TOC 1. सीता का हुआ अपहरण 2. नास्तिकों का आज का युग 3. इनसानी जीवन तबाह हो जाएगा 4. पारिवारिक जीवन नीरस—तहस-नहस 5. संस्कृति की अवज्ञा के दुष्परिणाम 6. डरावनी अकेली होगी जिन्दगी 7. हम आपस में लड़-मर न जाएँ 8. वापस लाएँ प्यार-मोहब्बत 9. इतिहास की पुनरावृत्ति 10. दैवी सहायता की पात्रता 11. देवताओं का स्वभाव और सहयोग 12. देवत्व आचरण से सिद्ध होता है 13. अवसर का महत्त्व समझें 14. यह युग परिवर्तन की वेला है 15. कांगो का संत 16. चरित्र से होगा लोक शिक्षण 17. श्रेष्ठ तपस्वी बनाने होंगे 18. परिव्राजक बनें-स्तर सुधारें 19. वातावरण निर्माण हेतु महापुरश्चरण 20. श्री अरविन्द का तप—जन्मा एक चक्रवात 21. विज्ञान सम्मत अनुशासित यज्ञ 22. सामने हैं बड़े लक्ष्य



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