Author |
Pt. shriram sharma |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |
Edition |
2013 |
Language |
Hindi |
PageLength |
64 |
Preface |
युगऋषि (वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं० आचार्य श्रीराम शर्मा) ने मनुष्य मात्र को उज्ज्वल भविष्य तक ले जाने वाली दैवी योजना ‘युग निर्माण योजना’ भी घोषणा तो की ही, उसे एक प्रकार प्रखर जन आन्दोलन का स्वरूप भी प्रदान किया। भारत द्वारा पुनः विश्वगुरु की भूमिका निभाने के गरिमामय स्तर तक पहुँचने की बात स्वामी विवेकानन्द एवं योगी श्री अरविन्द आदि ने अपने वक्तव्यों में बार- बार दोहराई है। युगऋषि ने उन्हीं के कथन के अनुरूप उस दिव्य योजना के अगले चरणों के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक स्वरूपों का खुलासा किया है। जन- जन को उसी ईश्वरीय योजना में भागीदारी लेने- निभाने के लिए आमंत्रित तथा प्रेरित किया है।
महापुरुषों के उक्त कथन को जानते हुए भी बड़ी संख्या में नर- नारी निकट भविष्य में किसी विनाशलीला की संभावनाओं से भयभीत देखे जाते हैं। उनका भय अकारण भी नही हैं। बिगड़ते पर्यावरण के कारण बढ़ता भूमण्डलीय तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) अनेक प्राकृतिक भीषण विपदाओं की ओर संकेत कर रहा है। मनुष्य में बढ़ते अहंकार के कारण बढ़ रहे छोटे बड़े विग्रहों से लेकर विश्वयुद्ध- अणुयुद्ध तक की संभावनाएँ कम खतरनाक नही हैं। मनुष्य की संकीर्ण स्वार्थपरता तथा अनगढ़ सुख लिप्सा के कारण बढ़ते अपराध मनुष्य जाति को कहाँ ले जाकर पटकेगें? यह चिन्ता हर समझदार के मन में उठती है, तो उसे निराधार भी तो नहीं कहा जा सकता। माया सभ्यता की कालसारिणी (मायान्स कैलेण्डर) को लेकर उभरी अनगढ़ चर्चाओं ने उक्त भय को और भी बढ़ा दिया है।
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Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Size |
normal |
TOC |
• श्री अरविन्द के अनुरूप
• युगऋषि की भविष्यवाणी सतयुग की वापसी
• संघर्ष और सृजन का संयुक्त मोर्चा स्थिति की समीक्षा
• नवयुग जल्दी आयेगा
• ध्वंस दबेगा, सृजन उभरेगा
• परिवर्तन की नई लहर
• धर्म तंत्र परिष्कृत हो
• दोनों तरह के युद्धों पर लगेगा अंकुश
• परिवर्तन होना है राजतंत्र में भी, अर्थ तंत्र में भी
• सत्ता लोलुप, धन लोलुप समय पर चेत जायें अदृश्ष्य के संकेत समझे
• विश्व का नया स्वरूप उभरेगा विग्रह के मूल कारण
• परिवर्तन का दैवी चक्र -
• जनसंख्या की समस्या भी सुलझानी होगी
• मान्यताएँ सुधरेंगी
• नारी की प्रतिभा उभरेगी-क्षमता निखरेगी भेद बुद्धि अनैतिक है
• पक्षपात मिटाना ही होगा
• बदलना होगा दृष्टिकोण
• कैसा होगा प्रज्ञायुग का समाज ?
• बदलेगी जीवन दृष्टि
• नीतियुक्त मर्यादित जीवन
• आदर्श सामाजिक व्यवस्था -
• जागेंगी सहकारी प्रवृत्तियाँ -
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