YUG RISHI KI SUKSHMIKARAN SADHNA
Price: ₹ 16/-



Product Detail

TOC • हमारा निर्णय और परिजनों का असमंजस • तरह-तरह के असमंजस • सूक्ष्मीकरण साधना के तथ्य एवं औचित्य • उमड़ती विनाशकारी विभीषिकाएँ • हो रहे प्रयास ना काफी • आशा की किरण • कलंक-कालिमा धुल सके • प्रचण्ड सूक्ष्म शक्ति का जागरण विशेष समय, विशेष दायित्व • स्थूल की सीमा • सूक्ष्मीकरण की विशिष्ट साधना • यह परम्परा पुरातन है • हमें भी यही करना है • स्थिति की भयंकरता • मूर्धन्यों को झकझोरने वाला भगीरथ पुरुषार्थ • नयी सूझबूझ उभरेगी • दार्शनिकों-वैज्ञानिकों की दिशा बदलनी ही होगी • प्रतिभा का भटकाव • इस दुर्गति से उबारना ही होगा • पर्यवेक्षण के साथ सार्थक प्रयास • ऋषि-मनीषी के रूप में हमारी परोक्ष भूमिका • हमारी भावी भूमिका • युग परिवर्त्तन-नियन्ता का सुनिश्चित आश्वासन • यह परिस्थितियाँ बदलेंगी • यह कठिन है पर असंभव नहीं- • सत्पात्रों को हमारे वर्चस् का बल मिलेगा • क्रान्तियाँ जरूरी हैं
Author Brahmvarchas
Dimensions 12 cm x 18 cm
Edition 2011
Language Hindi
PageLength 72
Preface युगऋषि का व्यक्तित्व और कर्तृत्व गहरी शोध के विषय रहे है। उनकी विशेषताएँ- क्षमताएँ जितनी अद्भुत रहीं, उतनी ही अद्भुत रही है उनकी सहजता ।। उनके सान्निध्य में आने वाले व्यक्ति उनकी सहजता के प्रभाव में यह लगभग भूल ही जाते थे कि वे किसी अद्भुत- अलौकिक क्षमता सम्पन्न व्यक्ति के पास बैठे हैं ।। वसंत पर्व सन् 1984 से 1986 तक जनसामान्य की दृष्टि में वे केवल मौन "एकान्त साधना" में रहे; किन्तु वास्तव में वह साधना का एक युगान्तरकारी अनोखा प्रयोग था ।। इस साधना प्रयोग को उन्होंने सूक्ष्मीकरण साधना कहा ।। पौराणिक काल से अब तक के इतिहास में ऐसे प्रयोग गिने चुने ही हुए होंगे ।। संभवत: महर्षि वसिष्ठ ने युगों के क्रम में परिवर्तन- संशोधन के लिए अथवा महर्षि विश्वामित्र ने नये स्वर्ग की रचना के लिए इस स्तर के प्रयोग किये हों ?? संभवत: भगवान् महावीर एवं भगवान् बुद्ध ने वेद और ईश्वर के नाम पर फैली विकृतियों के शमन तथा विवेक सम्मत नयी परम्पराओं को स्थापित करने के लिए इस स्तर के साधना पुरुषार्थ किये हों ? युगऋषि ने अपने अवतरण का उद्देश्य "नवयुग निर्माण की ईश्वरीय योजना" को मूर्त्त रूप देना बताया है ।। नवयुग- प्रज्ञायुग का स्वरूप क्या होगा ?? यह तो दिव्य योजना के अनुसार निर्धारित है; किन्तु वर्तमान विसंगतियों- विनाशकारी विभीषिकाओं से मनुष्यता की रक्षा करके सतयुग जैसी गरिमामय मनःस्थितियों तथा परिस्थितियों के निर्माण के लिए किस प्रकार क्रमश: सुदृढ़ कदमों से लक्ष्य तक पहुँचा जाय, यह रणनीति बनाने और सफलतापूर्वक लागू करने की जिम्मेदारी तो युगऋषि पर ही डाली गई ।।
Publication yug nirman yojana press
Publisher Yug Nirman Yojana Vistara Trust
Size normal



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