ANTARJAGAT KE YATRA KA GYAN VIGYAN [PART-4]
Price: ₹ 54/-



Product Detail

Author Dr. Pranav Pandaya
Dimensions 14 cm x 21.5 cm
Edition 2016
Language Hindi
PageLength 144
Preface अंतर्यात्रा का ज्ञान विज्ञान युगऋषि परम पूज्य गुरुदेव के सान्निध्य में अन्तर्ज्ञान के रूप में अन्तर्चेतना में प्रकाशित हुआ इस अंतर्ज्ञान में समर्पण, साधना स्वरित एवं मुखरित हुई । इसी में योगऋषि पतंजलि के सूत्रों का सत्य उद्घाटित और प्रकाशित हुआ । अपना यह अन्तर्ज्ञान सद्गुरु की चेतना का एक समर्पित शिष्य की चेतना का एक सम्प्रेषण था । अनुभवों का योग प्रत्यावर्तन था। बाद में उनसे ही प्रेरित होकर एक प्रज्जवलित व प्रकाशित करने का साहस जागा। इसी के परिणाम में अन्तर्गजत की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान भाग-१,२ और ३ अब तक प्रकाशित किए जा चुके हैं। इनमें क्रमिक रूप से समाधिपाद, साधनापाद एवं विभूतिपाद के सूत्रों का अन्तर्बोध कराया गया था। इसी के साथ अन्तर्यात्रा अपने गंतव्य की ओर पहुँचने लगी है। अब अन्तर्गजत की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान भाग ४ प्रकाशित किया जा रहा है। इसमे कैवल्यपाद के सूत्रों का सत्य उद्घाटित हो रहा है। कैवल्यपाद अन्तर्यात्रा विज्ञान के प्रयोगों का अन्तिम निष्कर्ष है। अन्तर्यात्रा की अन्तिम मंजिल है। महर्षि पतंजलि ने अपने योगदर्शन को चार अध्यायों में विभाजित किया है, सूत्रकार ऋषि ने योगसूत्र को चार भागों में वर्गीकृत किया है। कैवल्यपाद इनमें से चौथा है।
Size normal
TOC 1. पाँच प्रकार की होती है सिद्धियाँ 2. चित्त में परिवर्तन से बदलते है घटनाक्रम 3. प्रकृति स्वंय पूरा करती है अपना लक्ष्य 4. निर्माण चित्त से सम्भव है अनेक देह 5. अनेक चित्त का निर्माण व नियंत्रण कर सकता है-योगी 6. ध्यान से होती है सम्पूर्ण चित्त शुद्धि 7. कर्मों की गति से पार है योगी 8. गहरे हैं कर्म के रहस्य 9. संस्कारों के अनुरुप घटता है-कर्मफल भोग 10. अनादि है वासनाएँ 11. जानें वासना के कारणों को 12. वासना कभी नष्ट नहीं होती 13. पल-पल रुप बदलती है वासनाएँ 14. वासना से उत्पन्न होती है अनन्त अनुभूतियाँ 15. चित्त परिवर्तन से बदलती है अनुभूतियाँ 16. प्रकृति से भिन्न है चित्त का अस्तित्त्व 17. चित्त में समाहित मनोविज्ञान 18. चित्त का स्वामी व ज्ञाता है पुरुष 19. स्वप्रकाशित नहीं है चित्त 20. एक समय में एक ही ज्ञान प्रकट होता है चित्त में 21. सम्भव है चित्त से चित्त का ज्ञान 22. चित्त नहीं चेतन पुरुष है हमारा स्वरुप 23. जीवन के सब अर्थ समाये हैं चित्त में 24. असंख्य वासनाओं का घर है चित्त 25. आत्मभावना द्वार है अध्यात्म का 26. विवेकज्ञान के उदय से प्राप्त होता है कैवल्य 27. निर्लिप्त होता है योगी का जीवन 28. विवेकज्ञान से सम्भव है संस्कारों का विनाश 29. विवेक-वैराग्य का शिखर है-धर्ममेघ समाधि 30. क्लेश-कर्म से रहित होता है- जीवनमुक्त्त योगी 31. आवरण के हटते ही होता है- असीम ज्ञान 32. कृतार्थ हो जाता है योगी का जीवन 33. कैवल्य में थम जाता है- नये जीवन का क्रम 34. स्वयं के स्वरुप में प्रतिष्ठित हो जाना है- कैवल्य 35. उपसंहार



Related Products

ADHYATM KYA THA KYA HO GAYA ?

Price: ₹ 15/-

ADRASYA JAGAT KA PARYAVEKSHAN

Price: ₹ 16/-

BHARTIYA SANSKRITI JIVAN DARSHAN

Price: ₹ 33/-

CHHAPAN BHOG

Price: ₹ 40/-

DAVI SHAKTI KE ANUDAN VARDAN

Price: ₹ 15/-

DEV SANSKRITI KA MERUDAND VANPRASTH

Price: ₹ 9/-

DHARM KE 10 LAKSHAN PANCH SHEEL

Price: ₹ 12/-

DHARM TANTRA KI GARIMA AUR KSHAMTA

Price: ₹ 12/-

GAYATRI MAHAVIGYAN -3

Price: ₹ 65/-

GYAN KI MANOVAIGYANIK EVAM SAMAJ SASHTRIYA PADDHATI

Price: ₹ 10/-

ISHWAR SE SAZHEDARI NAFE KA SAUDA

Price: ₹ 12/-

KUCHH DHARMIK PRASHNO KE UCHIT SAMADHAN

Price: ₹ 10/-

KYA DHARM? KYA ADHARM?

Price: ₹ 15/-

MAHILAO KI GAYATRI UPASANA

Price: ₹ 9/-

MANDIR JAN JAGRAN KE KENDRA BANE

Price: ₹ 7/-

PRABUDDHA VARG DHARMTANTRA SAMBHALE

Price: ₹ 6/-

SAMSTA VISHWA KE AJASRA ANUDAN

Price: ₹ 90/-

TEERTH YATRA KYA, KYON, KAISE?

Price: ₹ 5/-

UDHREDATMANA UTMANAM

Price: ₹ 6/-

VIVEK KI KASAUTI

Price: ₹ 5/-