Description |
1.Upavashra - Gayatri Mantra Dupatta (Simple)
2.Goumukhi
3.Japa Mala -White
4.Mantra Lekhan Pustika (2400 Mantra) |
Description |
1. Mantra Dhwani Big
2 Upavashra - Gayatri Mantra Dupatta (Cotton)
3 गायत्री चालीसा
4 Dhoti Cotton Yellow
5 Jap Mala Tulsi
6 Goumukhi
7 गायत्री महाविज्ञान संयुक्त
8 Dev Sthapana Sunboard(7x10)
9 गायत्री की अनुष्ठान एवं पुरश्चरण साधनाएँ
10 Mantra Lekhan Pustika (2400 Mantra)
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Description |
1.Upavashra - Gayatri Mantra Dupatta (Cotton)
2.Goumukhi
3.Japa Mala -White
4.Mantra Lekhan Pustika (2400 Mantra)
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Description |
Mantra Lekhan Pustika (2400 Mantra)
Upavashra - Gayatri Mantra Dupatta (Cotton)
Dhoti Cotton
Goumukhi
Jap Mala Tulsi |
Description |
1 Mantra Dhwani Big
2 Upavashra - Gayatri Mantra Dupatta (Cotton)
3 Jap Mala Tulsi
4 Goumukhi
5 देवस्थापना (7x10 Inch)
6 गायत्री चालीसा
7 Hawan Kund
8 Hawan Samagri 400gms
9 Kasta Patra Set
10 Yagyopavit Single Piece
11 गायत्री की अनुष्ठान एवं पुरश्चरण साधनाएँ
12 सरल सर्वोपयोगी हवन विधि
13 Dhoti Cotton Yellow
14 Mantra Lekhan Pustika (2400 Mantra) |
Descriptoin |
1. Mantra Dhwani Big 2 Upavashra - Gayatri Mantra Dupatta (Cotton) 3 गायत्री चालीसा 4 Dhoti Cotton Yellow 5 Jap Mala white 6 Goumukhi 7 गायत्री महाविज्ञान संयुक्त 8 Dev Sthapana small lemination 9 गायत्री की अनुष्ठान एवं पुरश्चरण साधनाएँ 10 Mantra Lekhan Pustika (2400 Mantra) |
Descriptoin |
1.Upavashra - Gayatri Mantra Dupatta (Cotton) 2.Goumukhi 3.Japa Mala -White 4.Mantra Lekhan Pustika (2400 Mantra) |
Descriptoin |
1 Mantra Lekhan Pustika (2400 Mantra) :-Note Book
2 गायत्री की दैनिक साधन :- Book
3 उपासना के दो चरण जप और ध्यान :- Book
4 गायत्री चालीसा :- Book
5 Upavashra - Gayatri Mantra Dupatta (Cotton) :- Puja Accessories
6 जप माला :- Puja Accessories
7 देवस्थापना (7x10 Inch) :- Poster
8 Goumukhi
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Dimensions |
18.5 cm x 24.5 |
Language |
Hindi |
Language |
English |
PageLength |
80 |
TOC |
गायत्री मंत्र लेखन से लाभ-
१. मंत्र् लेखन में हाथ, मन, आँख एवं मस्तिष्क रम जाते हैं। जिससे चित्त एकाग्र हो जाता है और एकाग्रता बढ़ती चली जाती है।
२. मंत्र लेखन में भाव चिन्तन से मन की तन्मयता पैदा होती है इससे मन की उच्छृंखलता समाप्त होकर उसे वशवर्ती बनाने की क्षमता बढ़ती है। इससे आध्यात्मिक एवं भौतिक कार्यों में व्यवस्था व सफलता की सम्भावना बढ़ती है।
३. मंत्र के माध्यम से ईश्वर के असंख्य आघात होने से मन पर चिर स्थाई आध्यात्मिक संस्कार जम जाते हैं जिनसे साधना में प्रगति व सफलता की सम्भावना सुनिश्चित होती जाती है।
४. जिस स्थान पर नियमित मंत्र लेखन किया जाता है उस स्थान पर साधक के श्रम और चिन्तन के समन्वय से उत्पन्न सूक्ष्म शक्ति के प्रभाव से एक दिव्य वातावरण पैदा हो जाता है जो साधना के क्षेत्र में सफलता का सेतु सिद्ध होता है।
५. मानसिक अशान्ति चिन्तायें मिट कर शान्ति का द्वार स्थायी रूप से खुलता है।
६. मंत्र योग का यह प्रकार मंत्र जप की अपेक्षा सुगम है। इससे मंत्र सिद्धि में अग्रसर होने में सफलता मिलती है।
७. इससे ध्यान करने का अभ्यास सुगम हो जाता है।
८. मंत्र लेखन का महत्त्व बहुत है। इसे जप की तुलना में दस गुना अधिक पुण्य फलदायक माना गया है। |