Author |
Pt shriram sharma acharya |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |
Edition |
2011 |
Language |
Hindi |
PageLength |
32 |
Preface |
सन् १९०८ की बात है भारतवर्ष का राजनैतिक वातावरण पूरी तरह गर्म हो रहा था। देश भर में "स्वदेशी आंदोलन" की धूम मची हुई थी। "अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करो" की ध्वनि से आकाश गूजँ रहा था। भारतवासियों की इस विद्रोही भावना को देखकर ब्रिटिश अधिकारी भी कुपित होकर दमन पर तुल गये। देश के सैकड़ों सुप्रसिद्ध नेता और कार्यकर्ता गिरफ्तार किए और ले जाकर जेलों में बन्द कर दिये गये। स्वदेशी-प्रचार की सभाओं को पुलिस लाठी चलाकर भंग कर रही थी। अनेक स्थानों में तो "वन्देमातरम्" कहने पर गिरफ्तार कर लिए जाते थे। इस प्रकार जनता और सरकारी अधिकारियों में भयंकर संघर्ष हो रहा था। भारतीय नर-नारी अपने जन्मसिद्ध अधिकारों की माँग कर रहे थे और सरकारी कर्मचारी आंदोलन को कुचल डालना चाहते थे।
सरकार के दमन चक्र का प्रतिकार करने के लिए देश के कुछ नवयुवकों ने शांतिपूर्ण आंदोलन का मार्ग त्यागकर शस्त्र-बल का आश्रय लेने का निश्चय किया। खुले तौर पर तो अंग्रेजों की आधुनिक, अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित सेना का मुकाबला कर सकना मुट्ठी भर व्यक्तियों के लिए संभव न था, इसलिए इन क्रांतिवादियों ने गुप्त-संगठन बनाये और छिपे तौर पर बम बनाने तथा पिस्तौल आदि एकत्रित करने का कार्य आरंभ किया। बंगाल के क्रांतिकारी दल ने अपना सबसे पहला लक्ष्य कलकत्ता के एक मजिस्ट्रेट मि० किंग्सफोर्ड को बनाया। वे स्वदेशी आंदोलन में पकडे़ जाने वाले व्यक्तियों को कड़ी-कड़ी सजायें दे रहे थे। एक पंद्रह वर्ष के लड़के को उन्होंने बेंत लगाने की भी सजा दी। इस पर क्रुद्ध होकर क्रांतिकारी दल ने मि० किंग्सफोर्ड को मारने का आदेश दे दिया। |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Size |
normal |
TOC |
1. वकालत का अपूर्व आदर्श
2. त्याग और परोपकार का जन्मजात गुण
3. आरम्भिक जीवन में देशभक्ति की भावना
4. परिस्थितियों के साथ संघर्ष
5. राजनैतिक मुकदमों में
6. प्रभावशील भाषण शक्ति
7. अमृत बाजार पत्रिका पर मानहानि का अभियोग
8. राजनीति में प्रवेश
9. स्वराज्य आन्दोलन में सहयोग
10. उग्र राजनीति में प्रवेश
11. अभूतपूर्व त्याग और देश सेवा का व्रत
12. नवयुवकों का संगठन
13. मातृभूमि की वेदी पर सर्वस्व समर्पण
14. स्वराज्य पार्टी की स्थापना
15. अत्यधिक परिश्रम से स्वास्थ्य भंग
16. पारस्पारिक वैमनस्यता का अभिशाप
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