Author |
Pt. Shriram Sharma Acharya |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |
Edition |
2015 |
Language |
Hindi |
PageLength |
168 |
Preface |
कहानी और कथा सुनने-पढ़ने की रुचि मनुष्य में स्वभावत: पाई जाती है । जो शिक्षा या उपदेश निबंध के रूप में पढ़ना और हृदयंगम करना कठिन जान पड़ता है वही कथा-कहानी के रूप में रुचिपूर्वक पढ़ लिया जाता है और समझ में भी आ जाता है । कारण यही है कि निबंध या लेख विवेचनात्मक होते हैं, उनका मर्म ग्रहण करने में बुद्धि को विशेष परिश्रम करना पड़ता है । जिन निबंधों की भाषा अधिक प्रौढ़ अथवा गूढ़ होती है उनके समझने में प्रयत्न भी अधिक करना पड़ता है और उसके लायक विद्या, बुद्धि तथा भाषा ज्ञान सब व्यक्तियों के पास होता भी नहीं ।
पर कहानी की बात इससे भिन्न है । वर्णनात्मक प्रसंग सुनने का क्रम आरंभिक अवस्था से ही चलने लगता है । छोटे बच्चे भी कहानी सुनने का आग्रह करते हैं और उसे सुनने के लालच से रात में जगते भी रहते हैं । कम पढ़े व्यक्ति भी कहानी-किस्सा की पुस्तक शौक से पढ़ या सुन लेते हैं । कारण यही कि कहानी में जो घटनाएँ कही जाती हैं उनमें से अधिकांश हमको अपने या अन्य परिचित व्यक्तियों के जीवन में घटी हुई सी जान पड़ती हैं । उन्हें समझ लेने में कुछ कठिनाई नहीं होती । साथ ही कहानीकार उनमें जो थोड़ी बहुत विचित्र अथवा कुतूहल की बातें मिला देता है उससे पाठक का मनोरंजन भी हो जाता है ।
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Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistar Trust |
Size |
normal |
TOC |
1. मनुष्य की अपूर्णता
2. अनासक्त कर्म ही सच्चा योग
3. आत्माभिमुख बनो
4. पंचाग्नि विद्या
5. देवता भी नहीं कर सकते
6. पंडित और मूर्ख
7. धर्मपत्नी का सहयोग
8. बासा मन ताजा करो
9. संयम की शक्ति
10. सच्चा आग्रह
11. आत्मवत सर्वभूतेषु
12. वैद्य की आवश्यकता
13. कृतज्ञता प्रकाश
14. सच्चा गीतार्थी
15. तलाश
16. नशा एक बला
17. परोपकारी को कहीं भी भय नहीं
18. अपरोपकारी चला जाता है
19. समदर्शी भगवान के जात नहीं
20. अब तू मेरी सच्ची बेटी है
21. कुछ तो कर यों ही मत मर
22. परमात्मा का पल्ला मत छोड़ो
23. आत्म-विजय
24. भगवान का क्या दोष
25. निर्भीकता
26. पात्रता की परीक्षा
27. शबरी की महत्ता
28. पक्षियों की रक्षा
29. भगवान का प्यार
30. एक निश्चय-एक अमल
31. ऐसी उदारता भी बुरी
32. सधन्यवाद वापस
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