Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Dimensions |
12 X 18 cm |
Edition |
2013 |
Language |
Hindi |
PageLength |
112 |
Preface |
लंबी मंजिल लगातार चलकर पार नहीं की जाती । बीच में सुस्ताने के लिए विराम भी देना पड़ता है । रेलगाड़ी जंक्शन पर खड़ी होती है । पुराने मुसाफिर और असबाब उतारे जाते हैं । नए चढ़ाए जाते हैं । ईंधन भरने और सफाई करने की भी आवश्यकता पडती है । आर्थिक वर्ष पर पुराना हिसाब-किताब जाँचा जाता है औंर नया बजट बनता है । भ्रूण माता के गर्भ में रहकर अंग-प्रत्यंगों को इस योग्य बना लेता है कि शेष जीवन उसके बाद काम में लगाया जा सके । किसान हर साल नई फसल बोने और काटने का क्रम जारी रखता है । ये सब कृत्य लगातार नहीं होते, बीच में विराम के क्रम भी चलते रहते हैं । फौजियों की टुकड़ी भी कूच के समय में बीच-बीच में सुस्ताती है ।
ब्रह्मकमल की एक फुलवारी अस्सी वर्ष तक हर साल एक नया पुष्प खिलाने की तरह अपनी मंजिल का एक विराम निर्धारण पूरा कर चुकी । अब नई योजना के अनुरूप नयी शक्ति संग्रह करके नया प्रयास आरंभ किया जाना है । यह विराम प्रत्यावर्तन लगभग वैसा ही है, जैसे वयोवृद्ध शरीर को त्यागकर नए शिशु के रूप में नया जन्म लिया जाता है और नए नाम से संबोधन किया जाता है ।
सभी को तो नहीं पर साथ में जुड़े हुए लोगों को इसका संकेत था । इसलिए उन्हें भूतकाल के आश्चर्यजनक रहस्यों और भविष्य के अभूतपूर्व निर्धारणों के संबंध में अधिक कुछ जानने की उत्सुकता एवं जिज्ञासा उभरी । |
Publication |
Yug Nirman Yojna Trust, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yojna Trust, |
Size |
normal |
TOC |
1. इस बार का वसंत पर्व एवं उसकी उपलब्धियाँ
2. माथापच्ची निरर्थक नहीं गई
3. तपने और तपाने की आवश्यकता क्यों पडी़ ?
4. हम बिछुड़ने के लिए नहीं जुड़े है
5. अध्यात्म अविश्वस्त सिद्ध हुआ तो
6. प्रगति के विविध अवलंबन
7. समय संपदा का श्रेष्ठतम सदुपयोग
8. प्रगति के चार चरण
9. युग चेतना का प्रसारण
10. सत्संग प्रशिक्षण एवं संगठन
11. महान लक्ष्य की विकेन्द्रीकरण योजना
12. तीर्थ प्रक्रिया का पुनर्जीवन
13. सृजनशिल्पियों का समर्थ शिक्षण
14. सहस्त्र कुण्डी महायज्ञों का देशव्यापी सरंजाम
15. महिलाओं की महानता उभरे
16. युग प्रतिभाएँ इस तरह आगे आएँ
17. यह सरल है, कठिन नहीं
18. शेष जीवन का उत्सर्ग
19. अपने को बदल क्यों न दें?
20. दीपयज्ञों की अति सरल एवं अत्यंत प्रेरक प्रक्रिया
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