Author |
pt Shriram sharma acharya |
Descriptoin |
1 उपासना के दो चरण जप और ध्यान
2 गायत्री कामधेनु है
3 गायत्री साधना क्यो ? और कैसे ?
4 गायत्री की गुप्त शक्तियाँ
5 गायत्री की शक्ति और सिद्धि
6 आद्य शक्ति गायत्री की समर्थ साधना
7 गायत्री चालीसा
8 गायत्री से संकट निवारण
9 गायत्री की प्रचंड प्राण ऊर्जा
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Dimensions |
12 cm x 18 cm |
Edition |
2013 |
Language |
Hindi |
PageLength |
32 |
Preface |
परमाद्या, परांबा, श्री गायत्री की साधना बड़ी चमत्कारी और सर्वोपरि साधना है। इसके द्वारा मनुष्य को साधारणत: लौकिक और पारलौकिक लाभ तो प्राप्त होते ही हैं, और अनेक मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है; पर अनेक समय इसके प्रभाव से मनुष्य की इस प्रकार रक्षा हो जाती है कि उसे दैवी चमत्कार के सिवाय और कुछ नहीं कहा जा सकता। कारण यही है कि इस साधना के कारण साधक में कुछ दैवी तत्वों का विकास हो जाता है जो ऐसी आकस्मिक आवश्यकता अथवा संकट के समय अदृष्य रूप से उसके सहायक बनते हैं। प्राय: यह भी देखा गया है कि जो व्यक्ति साधना करके अपने मन और अन्तर को शुद्ध तथा निर्मल बना लेते हैं और ईर्ष्या-द्वेष के भावों को त्याग कर दूसरों के प्रति कल्याण की भावना रखते हैं, उनकी रक्षा दैवी शक्तियाँ स्वयं भी करती हैं। इस पुस्तक में अनेक गायत्री उपासकों के जो अनुभव दिए गए हैं, उनसे यह भली भाँति प्रमाणित होता है कि जिन लोगों ने गायत्री माता के आदेशानुसार आत्मशुद्धि और जगत के मंगल की भावना को अपना लिया है, उनकी रक्षा बड़ी-बड़ी आपत्तियों से सहज में हो जाती है। |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Size |
normal |
TOC |
नवरात्रि को देवत्व के स्वर्ग से धरती पर उतरने का विशेष पर्व माना जाता है। उस अवसर पर सुसंस्कारी आत्माएँ अपने भीतर समुद्र मंथन जैसी हलचलें उभरती देखते हैं। जो उन्हें सुनियोजित कर सकें वे वैसी ही रत्न राशि उपलब्ध करते हैं जैसी कि पौराणिक काल में उपलब्ध हुई मानी जाती हैं। इन दिनों परिष्कृत अन्तराल में ऐसी उमंगें भी उठती हैं जिनका अनुसरण सम्भव हो सके तो दैवी अनुग्रह पाने का ही नहीं देवोपम बनने का अवसर भी मिलता है यों ईश्वरीय अनुग्रह सत्पात्रों पर सदा ही बरसता है, पर ऐसे कुछ विशेष अवसर मिल सके। इन अवसरों को पावन पर्व कहते हैं। नवरात्रियों का पर्व मुहूर्तों में विशेष स्थान है। उस अवसर पर देव प्रकृति की आत्माएँ किसी अदृश्य प्रेरणा से प्रेरित होकर आत्म कल्याण एवं लोक मंगल क्रिया कलापों में अनायास ही रस लेने लगती हैं।
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TOC |
गायत्री से संकट निवारण |