Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Descriptoin |
1 उपासना के दो चरण जप और ध्यान
2 गायत्री कामधेनु है
3 गायत्री साधना क्यो ? और कैसे ?
4 गायत्री की गुप्त शक्तियाँ
5 गायत्री की शक्ति और सिद्धि
6 आद्य शक्ति गायत्री की समर्थ साधना
7 गायत्री चालीसा
8 गायत्री से संकट निवारण
9 गायत्री की प्रचंड प्राण ऊर्जा
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Dimensions |
120mmX181mmX2mm |
Edition |
2011 |
Language |
Hindi |
PageLength |
44 |
Preface |
गायत्री उपासना में हमारे जीवन का अधिकांश भाग व्यतीत हुआ है । अपने साधना काल में हमने लगभग २००० आर्ष ग्रंथों का अध्ययन करके गायत्री संबंधी बहुत ही बहुमूल्य जानकारी प्राप्तकी है । स्वयं २४- २४ लक्ष के २४ पुरश्चरण किए हैं और देशभर के गुप्त-प्रकट गायत्री उपासकों से संबंध स्थापित करके उनके बहुमूल्य सहयोग, अनुभव तथा आशीर्वाद का संग्रह किया है । इस मार्ग पर चलते हुए हमें जो अनुभव प्राप्त हुए हैं, वे इतने महत्त्वपूर्ण एवं आश्चर्यजनक हैं कि गायत्री की महिमा के संबंध में किसी भी प्रकार का संदेह नहीं रह जाता है । गायत्री को अमृत, पारस और कल्पवृक्ष कहा गया है । इससे बढ़कर श्री, समृद्धि, सफलता और सुख-शांति का दूसरा मार्ग नहीं है । गायत्री उपासकों को माता का आँचल पकड़ने से जो अनुभव हुए हैं, उनका कुछ का संक्षिप्त वृत्तांत इस पुस्तक में दिया जा रहाहै । इससे असंख्यों गुने महत्त्वपूर्ण अनुभव तो अभी अप्रकाशित ही हैं । इतना निश्चित है कि कभी किसी की गायत्री-साधना निष्फल नहीं जाती । इस दिशा में बढ़ाया हुआ प्रत्येक कदम कल्याण कारक ही होता है । गायत्री उपासना कैसे करनी चाहिए ? किस-किस कार्य के लिए गायत्री महाशक्ति का उपयोग किस प्रकार, किस विधि-विधान से होना चाहिए इसका विस्तृत वर्णन हमने गायत्री महाविज्ञान ग्रंथ के चारों खंडों में भली प्रकार कर दिया है । पाठक उनसे सहायता लेकर आशाजनक लाभ उठा सकते हैं । |
Publication |
Yug Nirman Yogana Vistar, Trust Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Size |
normal |
TOC |
नवरात्रि को देवत्व के स्वर्ग से धरती पर उतरने का विशेष पर्व माना जाता है। उस अवसर पर सुसंस्कारी आत्माएँ अपने भीतर समुद्र मंथन जैसी हलचलें उभरती देखते हैं। जो उन्हें सुनियोजित कर सकें वे वैसी ही रत्न राशि उपलब्ध करते हैं जैसी कि पौराणिक काल में उपलब्ध हुई मानी जाती हैं। इन दिनों परिष्कृत अन्तराल में ऐसी उमंगें भी उठती हैं जिनका अनुसरण सम्भव हो सके तो दैवी अनुग्रह पाने का ही नहीं देवोपम बनने का अवसर भी मिलता है यों ईश्वरीय अनुग्रह सत्पात्रों पर सदा ही बरसता है, पर ऐसे कुछ विशेष अवसर मिल सके। इन अवसरों को पावन पर्व कहते हैं। नवरात्रियों का पर्व मुहूर्तों में विशेष स्थान है। उस अवसर पर देव प्रकृति की आत्माएँ किसी अदृश्य प्रेरणा से प्रेरित होकर आत्म कल्याण एवं लोक मंगल क्रिया कलापों में अनायास ही रस लेने लगती हैं।
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TOC |
1 महापुरुषों द्वारा गायत्री-महिमा का गान
2 गायत्री महिमा से सतोगुणी सिद्धियाँ
3 गायत्री साधना से श्री, समृद्धि और सफलता
4 गायत्री साधना से आपत्तियों का निवारण
5 देवियों की गायत्री साधना
6 जीवन का कायाकल्प |