Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |
Edition |
2015 |
Language |
Hindi |
PageLength |
24 |
Preface |
मृत्यु से डरने की कोई बात नहीं क्योंकि कपड़ा बदलने के समान यह एक स्वाभाविक एवं साधारण बात है । परन्तु मृत्यु को ध्यान में रखना आवश्यक है । मार्ग के विश्रामगृह में ठहरे हुए यात्री को जैसे रातभर ठहर कर कूच की तैयारी करनी पड़ती है और फिर दूसरी रात किसी अन्य विश्रामगृह में ठहरना पड़ता है उसी प्रकार जीव भी एक जीवन को छोड़ कर दूसरे जीवनों में प्रवेश करता रहता है ।
क्षणिक जीवन में कोई ऐसा कार्य न करना चाहिए जिससे आगे की प्रगति में बाधा पड़े । विश्रामगृह के अनावश्यक झगड़ों में उलझ कर जैसे कोई मूर्ख यात्री मुकदमा जेल में फँस जाता है और अपनी यात्रा का उद्देश्य बिगाड़ लेता है वैसे ही जो लोग वर्तमान जीवन के तुच्छ लाभों के लिए अपना परम् लक्ष्य नष्ट कर लेते हैं वे निश्चय ही अज्ञानी हैं ।
जीवन एक नाटक की तरह है । इस अभिनय को हमें इस प्रकार खेलना चाहिए कि दूसरों को प्रसन्नता हो और अपनी प्रशंसा हो । नाटक खेलते समय सुख और दुःख के अनेक प्रसंग आते हैं पर अभिनय करने वाला पात्र उस अवसर पर वस्तुत:सुखी या दुःखी नहीं होता । इसी प्रकार हम को जीवन रूपी खेल में बिना किसी उद्वेग के अभिनय का कौशल प्रदर्शित करना चाहिए । पर साथ ही अपने लक्ष्य को भूलना न चाहिए ।
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Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Size |
normal |
TOC |
1 ईश्वर का विराट रुप
2 ब्रह्मज्ञान का प्रकाश
3 शक्ति का सदुपयोग
4 धन का सदुपयोग
5 आपत्तियों में धैर्य
6 नारी की महानता
7 गृहलक्ष्मी की प्रतिष्ठा
8 प्रकृति का अनुसरण
9 मानसिक संतुलन
10 सहयोग और सहिष्णुता
11 इंद्रिय संयम
12 परमार्थ और स्वार्थ का समन्वय
13 सर्वतोमुखी उन्नति
14 ईश्वरीय न्याय
15 विवेक की कसौटी
16 जीवन और मृत्यु
17 धर्म की सुदृढ़ धारणा
18 उदारता और दूरदर्शिता
19 स्वाध्याय और सत्संग
20 आत्म ज्ञान और आत्म कल्याण
21 पवित्र जीवन
22 प्राणघातक व्यसन
23 सावधानी और सुरक्षा
24 संतान के प्रति कर्तव्य
25 शिष्टाचार और सहयोग
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TOC |
1. जीवन का लक्ष्य स्थिर करो
2. जीवन के तेरह रूप
3. अपने जीवन को दिव्य बनाइये
4. सिद्धांतों पर आचरण करना आवश्यक है
5. मृत्यु का भय त्याग दीजिए
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