Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |
Edition |
2015 |
Language |
Hindi |
PageLength |
24 |
Preface |
गायत्री मंत्र का सोलहवाँ अक्षर हि अंधानुकरण को त्यागकर विवेक द्वारा प्रत्येक विषय का निर्णय करने की शिक्षा देता है-
हि तंमत्वाज्ञान केंद्र स्वातंत्र्येण विचारयेत् ।
नान्धानुसरणं कुर्यात् कदाचित् को ऽपि कस्याचित् । ।
अर्थात विवेक को ही कल्याणकारक समझकर हर बात पर स्वतंत्र रूप
से विचार करें । अंधानुकरण कभी, किसी दशा में न करें
देश, काल पात्र, अधिकार और परिस्थिति के अनुसार मानव समाज के
हित और सुविधा के लिए विविध प्रकार के शास्त्र, नियम कानून और प्रथाओं
का निर्माण और प्रचलन होता है । स्थितियों के परिवर्तन के साथ-साथ इन मान्यताओं
एवं प्रथाओं में परिवर्तन होता रहता है । पिछले कुछ हजार वर्षों में ही अनेक प्रकार के
धार्मिक विधान, रीति-रिवाज, प्रथा-परंपराएँ तथा शासन पद्धतियों बदल चुकी हैं ।
शास्त्रों में अनेक स्थानों पर परस्पर विरोध दिखाई पड़ते हैं इसका कारण यही
है कि विभिन्न समयों में विभिन्न कारणों से जो परिवर्तन रीति-नीति में होते रहे हैं
उनका शास्त्रों में उल्लेख है । लोग समझते हैं कि ये सब शास्त्र और सब नियम एक ही
समय में प्रचलित हुए पर बात इसके विपरीत है । भारतीय शास्त्र सदा प्रगतिशील रहे
हैं और देश काल परिस्थिति के अनुसार व्यवस्थाओं में परिवर्तन करते रहे हैं ।
कोई प्रथा मान्यता या विचारधारा समय से पिछड़ गई हो तो परंपरा के
मोह से उसका अंधानुकरण नहीं करना चाहिए । वर्तमान स्थिति का ध्यान रखते
हुए प्रथाओं में परिवर्तन अवश्य करना चाहिए । आज हमारे समाज में ऐसी
अगणित प्रथाएँ हैं, जिनको बदलने की बडी़ आवश्यकता है ।
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Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Size |
normal |
TOC |
1 ईश्वर का विराट रुप
2 ब्रह्मज्ञान का प्रकाश
3 शक्ति का सदुपयोग
4 धन का सदुपयोग
5 आपत्तियों में धैर्य
6 नारी की महानता
7 गृहलक्ष्मी की प्रतिष्ठा
8 प्रकृति का अनुसरण
9 मानसिक संतुलन
10 सहयोग और सहिष्णुता
11 इंद्रिय संयम
12 परमार्थ और स्वार्थ का समन्वय
13 सर्वतोमुखी उन्नति
14 ईश्वरीय न्याय
15 विवेक की कसौटी
16 जीवन और मृत्यु
17 धर्म की सुदृढ़ धारणा
18 उदारता और दूरदर्शिता
19 स्वाध्याय और सत्संग
20 आत्म ज्ञान और आत्म कल्याण
21 पवित्र जीवन
22 प्राणघातक व्यसन
23 सावधानी और सुरक्षा
24 संतान के प्रति कर्तव्य
25 शिष्टाचार और सहयोग
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TOC |
1. शास्त्रों का आदेश और विवेक
2. विवेक का निर्णय सर्वोपरि है
3. विवेक ही सच्ची शक्ति है
4. विवेक और स्वतंत्र-चिंतन
5. विवेक से ही धर्म का निर्णय हो सकता है
6. विवेक और मानसिक दासता
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