Author |
Pt Shriram sharma acharya |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |
Edition |
2015 |
Language |
Hindi |
PageLength |
32 |
Preface |
गायत्री मंत्र का छठा अक्षर गृहलक्ष्मी के रूप में नारी की प्रतिष्ठा की शिक्षा देता है-
रे रवे निर्मला नारी पूजनीया सतां सदा ।।
यतो हि सैव लोकेऽस्मिन साक्षाल्लश्मीर्मता बुधै: ।।
अर्थात नारी सदैव नदी के समान निर्मल है, वह पूजनीय है, क्योंकि संसार में उसे साक्षात लक्ष्मी माना गया है ।।
जैसे नर्मदा का जल सदा निर्मल रहता है उसी प्रकार ईश्वर ने नारी को स्वभावतः निर्मल अंत:करण दिया है ।। परिस्थिति के दोषों के कारण अथवा दुष्ट संगति के प्रभाव से उसमें विकार पैदा हो जाते हैं, पर यदि कारणों को बदल दिया जाए तो नारी- ह्रदय पुन: अपनी शाश्वत निर्मलता पर लौट आता है ।।
नारी लक्ष्मी का अवतार है। भगवान मनु स्पष्ट शब्दों में कह गए हैं कि जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते है ।। अर्थात उस स्थान में सुख, शांति का निवास रहता है। सम्मानित और संतुष्ट नारी अनेक सुविधाओं और सुव्यवस्थाओं का घर बन जाती है, उसके साथ गरीबी में भी अमीरी का आनंद बरसता है ।। धन- दौलत तो निर्जीव लक्ष्मी है, किंतु स्त्री तो लक्ष्मी की सजीव प्रतिमा है ।। उसके समुचित आदर, सहयोग और संतोष का सदैव ध्यान रखना चाहिए ।।
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Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Size |
normal |
TOC |
1 ईश्वर का विराट रुप
2 ब्रह्मज्ञान का प्रकाश
3 शक्ति का सदुपयोग
4 धन का सदुपयोग
5 आपत्तियों में धैर्य
6 नारी की महानता
7 गृहलक्ष्मी की प्रतिष्ठा
8 प्रकृति का अनुसरण
9 मानसिक संतुलन
10 सहयोग और सहिष्णुता
11 इंद्रिय संयम
12 परमार्थ और स्वार्थ का समन्वय
13 सर्वतोमुखी उन्नति
14 ईश्वरीय न्याय
15 विवेक की कसौटी
16 जीवन और मृत्यु
17 धर्म की सुदृढ़ धारणा
18 उदारता और दूरदर्शिता
19 स्वाध्याय और सत्संग
20 आत्म ज्ञान और आत्म कल्याण
21 पवित्र जीवन
22 प्राणघातक व्यसन
23 सावधानी और सुरक्षा
24 संतान के प्रति कर्तव्य
25 शिष्टाचार और सहयोग
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TOC |
• गृहलक्ष्मी की प्रतिष्ठा
• नारी के सहयोग के बिना नर अपूर्ण रहता है, विवाह की उपयोगिता
• विवाह आत्मविकास का प्रधान साधन है
• हमारा वैवाहिक जीवन कैसे सुखी रह सकता है
• वैवाहिक जीवन का उत्तरदात्वि
• उत्तरदायित्व का निर्वाह
• दो स्वर्णिम सूत्र
• गृहस्थ जीवन की सफलता
• दाम्पत्य जीवन में कलह से बचिये
• विवाहित जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन
• पत्नी का सदैव सम्मान कीजिये
• स्त्रियोचित्त शिक्षा की आवश्यकता
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TOC |
1 गृहस्थ जीवन एक तपोवन :- Book
2 गृहस्थ में प्रवेश के पूर्व जिम्मेदारी समझें :- Book
3 गृहलक्ष्मी की प्रतिष्ठा :- Book
4 गृहस्थ एक योग साधना :- Book
5 विवाह के आदर्श और सिद्धान्त :- Book
6 गृहस्थ : एक तपोवन - 61 :- Book
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