NARI KI MAHANTA
Price: ₹ 4/-



Product Detail

Author Pt Shriram sharma acharya
Dimensions 12 cm x 18 cm
Edition 2015
Language Hindi
PageLength 24
Preface गायत्री मंत्र का पांचवां अक्षर व नारी जाति की महानता और उसके विकास की शिक्षा देता है- व- वद नारीं विना कोऽन्यो निर्माता मनुसन्तते ।। महत्त्वं रचनाशक्तेः स्वस्या नार्या हि ज्ञायताम् ।। अर्थात - मनुष्य की निर्मात्री नारी ही है ।। नारी को अपनी शक्ति का महत्व समझना चाहिए । नारी से ही मनुष्य उत्पन्न होता है ।। बालक की आदिगुरु उसकी माता ही होती है ।। पिता के वीर्य की एक बूंद ही निमित्त मात्र होती है, बाकी बालक के समस्त अंग- प्रत्यंग माता के रक्त से बनते हैं ।। उस रक्त में जैसी स्वस्थता, प्रतिभा, विचारधारा, अनुभूति होगी, उसी के अनुसार बालक का शरीर, मस्तिष्क और स्वभाव बनेगा ।। नारियां यदि अस्वस्थ, अशिक्षित, अविकसित, पराधीन, कूपमंडूक और दीन- हीन रहेंगी तो उनके द्वारा उत्पन्न बालक भी इन्हीं दोषों से युक्त होंगे ।। ऊसर खेत में अच्छी फसल उत्पन्न नहीं हो सकती ।। यदि मनुष्य जाति उन्नति चाहती है तो पहले नारी को शारीरिक, बौद्धिक, सामाजिक, आर्थिक सभी दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण और सुविकसित बनाना होगा, तभी मनुष्यों में सबलता, सक्षमता, सद्बुद्धि, सद्गुण और महानता के संस्कारों का उदय हो सकता है ।। नारी को पिछड़ा हुआ रखना अपने पैरों में आप कुल्हाड़ी मारना है ।।
Publication Yug nirman yojana press
Publisher Yug Nirman Yojana Vistara Trust
Size normal
TOC 1 ईश्वर का विराट रुप 2 ब्रह्मज्ञान का प्रकाश 3 शक्ति का सदुपयोग 4 धन का सदुपयोग 5 आपत्तियों में धैर्य 6 नारी की महानता 7 गृहलक्ष्मी की प्रतिष्ठा 8 प्रकृति का अनुसरण 9 मानसिक संतुलन 10 सहयोग और सहिष्णुता 11 इंद्रिय संयम 12 परमार्थ और स्वार्थ का समन्वय 13 सर्वतोमुखी उन्नति 14 ईश्वरीय न्याय 15 विवेक की कसौटी 16 जीवन और मृत्यु 17 धर्म की सुदृढ़ धारणा 18 उदारता और दूरदर्शिता 19 स्वाध्याय और सत्संग 20 आत्म ज्ञान और आत्म कल्याण 21 पवित्र जीवन 22 प्राणघातक व्यसन 23 सावधानी और सुरक्षा 24 संतान के प्रति कर्तव्य 25 शिष्टाचार और सहयोग
TOC 1. नारी की महानता 2. नारियों के उत्थान की समस्या 3. नारी धर्म प्राचीन आदर्श 4. भारतीय नारी की महानता 5. नारियों का समाजोत्थान में भाग 6. नारी जागरण और वर्तमान सामाजिक स्थिति 7. भावी युग में नारी का स्थान 8. राष्ट्रीयता में नारियों का स्थान



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