DHAN KA SADUPYOG
Price: ₹ 7/-



Product Detail

Author Pandit Shriram Sharma Aacharya
Description 1 धार्मिक पंचाग 2016 - Calendar 2 धन का सदुपयोग - Book 3 हारिए न हिम्मत - Book 4 वैभव नही महानता का वरण करें -Book 5 युग यज्ञ पद्धति -Book 6. त्यौहार और व्रत -Book 7.मातृ स्मृति विवरणिका - Note Book
Dimensions 181mmX121mmX2mm
Edition 2014
Language Hindi
PageLength 24
Preface गायत्री मंत्र का चौथा अक्षर वि हमको धन के सदुपयोग की शिक्षा देता है-वित्त शक्तातु कर्तव्य उचिताभाव पूर्तयः । न तु शक्ला न या कार्य दर्पोद्धात्य प्रदर्शनम् । । अर्थात- धन उचित अभावों की पूर्ति के लिए है, उसके द्वारा अहंकार तथा अनुचित कार्य नहीं किए जाने चाहिए । धन का उपार्जन केवल इसी दृष्टि से होना चाहिए कि उससे अपने तथा दूसरों के उचित अभावों की पूर्ति हो । शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा के विकास के लिए सांसारिक उत्तरदायित्वों की पूर्ति के लिए धन का उपयोग होना चाहिए और इसीलिए उसे कमाना चाहिए । धन कमाने का उचित तरीका वह है जिसमें मनुष्य का पूरा शारीरिकऔर मानसिक श्रम लगा हो जिसमें किसी दूसरे के हक का अपहरण न किया गया हो, जिसमें कोई चोरी, छल, प्रपञ्च, अन्याय, दबाव आदि का प्रयोग न किया गया हो । जिससे समाज और राष्ट्र का कोई अहित न होता हो ऐसी ही कमाई से उपार्जित पैसा फलता-फूलता है और उससे मनुष्यकी सच्ची उन्नति होती है । जिस प्रकार धन के उपार्जन में औचित्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है, वैसे ही उसे खर्च करने में, उपयोग में भी सावधानी बरतनी चाहिए । अपने तथा अपने परिजनों के आवश्यक विकास के लिए धन का उपयोग करना ही कर्तव्य है । शानशौकत दिखलाने अथवा दुर्व्यसनों की पूर्तिके लिए धन का अपव्यय करना मनुष्य की अवनति अप्रतिष्ठा और दुर्दशाका कारण होता है ।
Publication Yug Nirman Yogana, Mathura
Publisher Yug Nirman Yogana, Mathura
Size normal
TOC 1 ईश्वर का विराट रुप 2 ब्रह्मज्ञान का प्रकाश 3 शक्ति का सदुपयोग 4 धन का सदुपयोग 5 आपत्तियों में धैर्य 6 नारी की महानता 7 गृहलक्ष्मी की प्रतिष्ठा 8 प्रकृति का अनुसरण 9 मानसिक संतुलन 10 सहयोग और सहिष्णुता 11 इंद्रिय संयम 12 परमार्थ और स्वार्थ का समन्वय 13 सर्वतोमुखी उन्नति 14 ईश्वरीय न्याय 15 विवेक की कसौटी 16 जीवन और मृत्यु 17 धर्म की सुदृढ़ धारणा 18 उदारता और दूरदर्शिता 19 स्वाध्याय और सत्संग 20 आत्म ज्ञान और आत्म कल्याण 21 पवित्र जीवन 22 प्राणघातक व्यसन 23 सावधानी और सुरक्षा 24 संतान के प्रति कर्तव्य 25 शिष्टाचार और सहयोग
TOC 1. धन का सदुपयोग 2. धन की तृष्णा से बचिए 3. धन विपत्ति का कारण भी हो सकता है ? 4. धन के प्रति उचित दृष्टिकोण रखिए 5.धन का सच्चा स्वरूप 6. ईमानदारी की कमाई ही स्थिर रहती है 7. धन का अपव्यय बन्द कीजिए 8. विलासिता में धन व्यय करना नाशकारी है



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