Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Description |
1 गायत्री की पंचविधि दैनिक साधना
2 गायत्री चालीसा
3 जप माला
4 देवस्थापना (7x10 Inch)
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Descriptoin |
1 Mantra Lekhan Pustika (2400 Mantra) :-Note Book
2 गायत्री की दैनिक साधन :- Book
3 उपासना के दो चरण जप और ध्यान :- Book
4 गायत्री चालीसा :- Book
5 Upavashra - Gayatri Mantra Dupatta (Cotton) :- Puja Accessories
6 जप माला :- Puja Accessories
7 देवस्थापना (7x10 Inch) :- Poster
8 Goumukhi
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Descriptoin |
1 उपासना के दो चरण जप और ध्यान
2 गायत्री कामधेनु है
3 गायत्री साधना क्यो ? और कैसे ?
4 गायत्री की गुप्त शक्तियाँ
5 गायत्री की शक्ति और सिद्धि
6 आद्य शक्ति गायत्री की समर्थ साधना
7 गायत्री चालीसा
8 गायत्री से संकट निवारण
9 गायत्री की प्रचंड प्राण ऊर्जा
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Dimensions |
120mmX91mmX1mm |
Language |
Hindi |
Language |
English |
PageLength |
32 |
Preface |
गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी कहा गया है। वेदों से लेकर धर्मशास्त्रों तक समस्त दिव्य ज्ञान गायत्री के बीजाक्षरों का ही विस्तार है। माँ गायत्री का आँचल पकड़ने वाला सााधक कभी निराश नहीं हुआ। इस मंत्र के चौबीस अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं। गायत्री उपासना करने वाले की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं, ऐसा ऋषिगणों का अभिमत है।
गायत्री वेदमाता हैं एवं मानव मात्र का पाप नाश करने की शक्ति उनमें है। इससे अधिक पवित्र करने वाला और कोई मंत्र स्वर्ग और पृथ्वी पर नहीं है। भौतिक लालसाओं से पीड़ित व्यक्ति के लिए भी और आत्मकल्याण की इच्छा रखने वाले मुमुक्षु के लिए भी एकमात्र आश्रय गायत्री ही है। गायत्री से आयु, प्राण, प्रजा, पशु,कीर्ति, धन एवं ब्रह्मवर्चस के सात प्रतिफल अथर्ववेद में बताए गए हैं, जो विधिपूर्वक उपासना करने वाले हर साधक को निश्चित ही प्राप्त होते हैं।
भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर प्राणी को नित्य-नियमित गायत्री उपासना करनी चाहिए। विधिपूर्वक की गयी उपासना साधक के चारों ओर एक रक्षा कवच का निर्माण करती है व विभिन्न विपत्तियों, आसन्न विभीषिकाओं से उसकी रक्षा करती है। प्रस्तुत समय संधिकाल का है। आगामी वर्षों में पूरे विश्व में तेजी से परिवर्तन होगा। इस विशिष्ट समय में की गयी गायत्री उपासना के प्रतिफल भी विशिष्ट होंगे। युगऋषि, वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने गायत्री के तत्त्वदर्शन को जन-जन तक पहुँचाया व उसे जनसुलभ बनाया है। प्रत्यक्ष कामधेनु की तरह इसका हर कोई पयपान कर सकता है। जाति, मत, लिंग भेद से परे गायत्री सार्वजनीन है। सबके लिए उसकी साधना करने व लाभ उठाने का मार्ग खुला हुआ है। |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Size |
small |
TOC |
नवरात्रि को देवत्व के स्वर्ग से धरती पर उतरने का विशेष पर्व माना जाता है। उस अवसर पर सुसंस्कारी आत्माएँ अपने भीतर समुद्र मंथन जैसी हलचलें उभरती देखते हैं। जो उन्हें सुनियोजित कर सकें वे वैसी ही रत्न राशि उपलब्ध करते हैं जैसी कि पौराणिक काल में उपलब्ध हुई मानी जाती हैं। इन दिनों परिष्कृत अन्तराल में ऐसी उमंगें भी उठती हैं जिनका अनुसरण सम्भव हो सके तो दैवी अनुग्रह पाने का ही नहीं देवोपम बनने का अवसर भी मिलता है यों ईश्वरीय अनुग्रह सत्पात्रों पर सदा ही बरसता है, पर ऐसे कुछ विशेष अवसर मिल सके। इन अवसरों को पावन पर्व कहते हैं। नवरात्रियों का पर्व मुहूर्तों में विशेष स्थान है। उस अवसर पर देव प्रकृति की आत्माएँ किसी अदृश्य प्रेरणा से प्रेरित होकर आत्म कल्याण एवं लोक मंगल क्रिया कलापों में अनायास ही रस लेने लगती हैं।
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