Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Dimensions |
12 X 18 cm |
Language |
Hindi |
PageLength |
168 |
Preface |
योग साधना के अनेकों मार्ग हैं, पर आगे चलकर वे सभी मार्ग एक ही उद्देश्य पर जा पहुँचते हैं ।। योग साधन की असंख्यों विधियों में से जो बहुत प्रधान हैं वे गायत्री विद्या के अंतर्गत आ जाती हैं ।। पर प्रधान योगों की साधना गायत्री द्वारा हो सकती है ।। इस पुस्तक में उन प्रधान योगों के संबंध में प्रकाश डाला गया है ।। इन बारह योगों की सहायता से मनुष्य निस्संदेह सच्चा योगी बन सकता है और वे सब सिद्धियाँ प्राप्त कर सकता है जो योगियों को प्राप्त होती है ।।
इस पुस्तक में यद्यपि गायत्री से संबंधित बारह योगों की विवेचना भली प्रकार की है और यह प्रयत्न किया गया है कि साधनों की जानकारी योग्य सभी बातें इस पुस्तक में आ जायें फिर भी संभव है कोई बात छट गई हो ।। इसलिए इनमें से किसी योग की साधना आरंभ करने से पूर्वं यदि साधक, हमसे परामर्श कर लें तो अधिक उत्तम है ।। परामर्श की आवश्यकता इसलिए भी है कि विभिन्न मानसिक स्थिति के व्यक्तियों के लिए अलग- अलग प्रकार से, अलग- अलग साधनाओं की आवश्यकता होती है ।। किस व्यक्ति के लिए कौन साधना ठीक रहेगी ?? इसका निर्णय केवल पुस्तक के आधार पर नहीं हो सकता, इसके लिए, अनुभवी पथ प्रदर्शक की सलाह आवश्यक होती है ।।
गायत्री उपनिषद् के महत्त्वपूर्ण विज्ञान को भी इसी अंक में जोड़कर एक अपूर्णता को पूर्ण किया गया है ।। सिद्धांत क्रिया, इन दोनों के समन्वय से ही कोई बात पूर्णता को प्राप्त होती है ।। अध्यात्म विज्ञान के सिद्धांत गायत्री उपनिषद् में है, इसके द्वारा आत्मदर्शन और प्रकृति का मर्म समझ में आ जाता है ।। साधना विज्ञान की शिक्षा द्वादश योगों से पूरी हो जाती है, इस प्रकार यह पुस्तक सिद्धांत तथा साधन दोनों ही अंगों को पूरा करती है ।।
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Publication |
Yug Nirman Yojana Vistar trust, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Press, Mathura |
Size |
normal |
TOC |
1. एक में अनेक गुण
2. गायत्री के द्वादश योग
3. प्रणव योग अथवा ब्रह्मयोग
4. कुंडलिनी का परिचय
5. षटचक्रों का जागरण
6. विश्व योग
7. ध्यान योग
8. सतोगुण प्रकाशक-पुण्य स्तोत्र
9. आत्मतेज संवर्धक ब्राह्मी-स्तोत्र
10. बुद्धिवर्धक स्तोत्र
11. समृद्धिदायक सौभाग्य स्तोत्र
12. सूर्य योग
13. प्राण योग
14. आठ प्राणायाम
15. सहज योग
16. स्थिति प्रज्ञ अवस्था
17. सहज समाधि
18. भक्ति योग
19. ईश्वर का भजन
20. ज्ञान योग
21. लय योग
22. रूप साधना
23. रस साधना
24. गंध साधना
25. स्पर्श साधना
26. नाद योग
27. ग्रंथि योग
28. आत्म जागरण से सिद्धियाँ
1. एक में अनेक गुण
2. गायत्री के द्वादश योग
3. प्रणव योग अथवा ब्रह्मयोग
4. कुंडलिनी का परिचय
5. षटचक्रों का जागरण
6. विश्व योग
7. ध्यान योग
8. सतोगुण प्रकाशक-पुण्य स्तोत्र
9. आत्मतेज संवर्धक ब्राह्मी-स्तोत्र
10. बुद्धिवर्धक स्तोत्र
11. समृद्धिदायक सौभाग्य स्तोत्र
12. सूर्य योग
13. प्राण योग
14. आठ प्राणायाम
15. सहज योग
16. स्थिति प्रज्ञ अवस्था
17. सहज समाधि
18. भक्ति योग
19. ईश्वर का भजन
20. ज्ञान योग
21. लय योग
22. रूप साधना
23. रस साधना
24. गंध साधना
25. स्पर्श साधना
26. नाद योग
27. ग्रंथि योग
28. आत्म जागरण से सिद्धियाँ
29. गायत्री उपनिषद्
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