DEVTAO AVTARO AUR RISHIYO KI ...
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1. सर्वफल प्रदा उपास्य सर्वश्रेष्ठ गायत्री
2. वेदमाता-देवमाता भगवती गायत्री
3. गायत्री साधना के तीन चरण
4. त्रिदेवों की परम उपास्य गायत्री महाशक्ति
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Author |
Pt. Shriram sharma acharya |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |
Language |
Hindi |
PageLength |
48 |
Preface |
भारतीय धर्म के उपासना विज्ञान में गायत्री को सर्वोपरि माना गया है और सर्वश्रेष्ठ कहा गया है । इसके कई कारण हैं एक तो यह कि इस महामंत्र के अक्षरों में बीज रूप में मानवीय संस्कृति एवं आदर्श वादिता के सारे सिद्धान्त सन्निहित है । इसे विश्व का सबसे छोटा मात्र २४ अक्षरों का वह ग्रंथ कह सकते हैं, जिसमें धर्म और अध्यात्म का समूचा तत्व ज्ञान सार रूप में समाविष्ट मिल सकता है । इन अक्षरों की व्याख्या करते हुए जो कुछ मानवी प्रगति एवं सुव्यवस्था के लिए आवस्थक है यही प्रज्ञा का विवेकशीलता का मन्त्र है । कहना न होगा कि मनुष्य जीवन की समस्त समस्याएँ दुर्बुद्धि के कारण उत्पन्न होती हैं । संसार पर आये दिन छाये रहने वाले संकट के बादल अशुभ चिन्तन के खारे समुद्र में ही उठते हैं । विवेक सर्वोपरि है । सद्बुद्धि से बढ़कर इस संसार में और कुछ नहीं है । यह तथ्य प्रज्ञा की देवी गायत्री को सर्वोपरि ठहराने में सन्निहित है ।
गायत्री सद्बुद्धि ही है, इस महामंत्र में सद्बुद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई । इसके २४ अक्षरों में २४ अमूल्य शिक्षा संदेश भरे हुए है, वे सद्बुद्धि के मूर्तिमान प्रतीक है उन शिक्षाओं में वे सभी आधार मौजूद है जिन्हें हृदयंगम करने वाले का सम्पूर्ण दृष्टिकोण शुद्ध हो जाता है और उस भ्रम जन्य अविद्या का नाश हो जाता है जो आये दिन कोई न कोई कष्ट उत्पन्न करती है । गायत्री महा मंत्र की रचना ऐसे वैज्ञानिक आधार पर हुई है कि उसकी साधना से अपने भीतर छिपे हुए अनेकों गुप्त शक्ति केन्द्र खुल जाते है और अन्तस्थल में सात्विकता की निर्झरिणी बहने लगती है । विश्वव्यापी प्राण को अपनी प्रबल चुम्बक शक्ति से खींचकर अन्त:प्रदेश में जमा कर देने की अद्भुत शक्ति गायत्री में मौजूद है । |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Size |
normal |