Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Dimensions |
182mmX121mmX2mm |
Edition |
2011 |
Language |
Hindi |
PageLength |
48 |
Preface |
गायत्री उपासना के साथ-साथ यज्ञ की अनिवार्यता शास्त्रों में पग-पगपर प्रतिपादित की गई है । यह तथ्य अकारण नहीं है अभी तक इस बात को मात्र श्रद्धा का विषय माना जाता था, किन्तु जैसे-जैसे विज्ञानकी प्रगति हुई यह पता चलने लगा है कि यज्ञ एक प्रयोगजन्य विज्ञान है, उसे अन्य भौतिक प्रयोगों के समान ही विज्ञान की प्रयोगशाला में भी सिद्ध किया जा सकता है ।
विज्ञान अब इस निष्कर्ष पर पहुँचता जा रहा है कि हानिकारक या लाभदायक पदार्थ उदर में पहुँचकर उतनी हानि नहीं पहुँचाते जितनी कि उनके द्वारा उत्पन्न हुआ वायु विक्षोभ प्रभावित करता है । किसी पदार्थको उदरस्थ करने पर होने वाली लाभ-हानि उतनी अधिक प्रभावशाली नहीं होती जितनी कि उसके विद्युत् आवेग-सवेग । कोई पदार्थ सामान्य स्थिति में जहाँ रहता है वहाँ के विद्युत कम्पनों से कुछ न कुछ प्रभाव छोड़ता है और समीपवर्ती वातावरण में अपने स्तर का संवेग छोड़ता रहता है, पर यदि अग्नि संस्कार के साथ उसे जोड़ दिया जाय तो उसकी प्रभाव शक्ति असंख्य गुनी बढ़ जाती है ।
तमाखू सेवन से कैन्सर सरीखे भयानक रोग उत्पन्न होने की बात निर्विवाद रूप से सिद्ध हो चुकी है । इस व्यसन के व्यापक बन जाने के कारण सरकारें बड़े प्रति बन्ध लगाने से डरती हैं कि जनता में विक्षोभ और विद्रोह उत्पन्न होगा, फिर भी सर्व साधारण को वस्तुस्थिति से संकेत करने के लिए प्राथमिक कदम तो उठा ही दिये गये हे । अमेरिका में सिगरेटों के पैकेट पर उनकी विषाक्तता तथा सम्भावित हानि की चर्चास्पष्ट शब्दों में छपी रहती है । फिर भी जो लोग पीते हैं उनके बारे में यही कहा जा सकता है कि उन्होंने आरोग्य और रुग्णता के चुनाव में बीमारी और अपव्यय के पक्ष में अपनी पसंदगी व्यक्त की है । |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Size |
normal |
TOC |
1 यज्ञ की उपयोगिता का वैज्ञानिक आधार -
2 अग्नि का स्वास्थ्य पर प्रभाव -
3 यज्ञ से रोग निवारण एवं बलसंवर्धन के दो लाभ -
4 यज्ञापेचार की स्वास्थ्य संरक्षण प्रक्रिया -
5 अग्निहोत्र में ताप और ध्वनि शक्ति का सूक्ष्म प्रयोग -
6 यज्ञ अनुष्ठान से विभिन्न प्रयोजनों की पूर्ति - |