DHARM KE 10 LAKSHAN PANCH SHEEL
Price: ₹ 12/-



Product Detail

Author Pt. shriram sharma
Dimensions 12 cm x 18 cm
Edition 2014
Language Hindi
PageLength 64
Preface धर्म शब्द को इन दिनों प्रायः सम्प्रदायों के अर्थ में प्रयुक्त किया जा रहा है, जबकि वस्तुतः दोनों भिन्न हैं। उनमें यत्किंचित संगति भर है। सम्प्रदाय उपासना-विधानों, कर्मकांडो और रीति-रिवाजों का समुच्चय है। प्रथा परंपराएँ इसी में सम्मिलित होती हैं। व्यवहार, शिष्टाचार आदि का भी इसमें समन्वय है। कितनी ही मान्यताएँ भी अपने-अपने रूप में इनके साथ जुड़ती हैं। इनके लक्षणों में भिन्नताएँ रहती हैं, क्योंकि वे देश, काल, पात्र, क्षेत्र, परिस्थिति आदि की भिन्नताओं पर अवलंबित हैं। अनेक धर्म इसी रूप में दृष्टिगोचर होते हैं। इनकी भिन्नताएँ अनुयायियों को अपने संदर्भ में कट्टर रहने के लिए भी प्रेरित करती हैं। फल यह होता है कि उदारता, सहिष्णुता का परस्पर तालमेल न बैठने से वे आपस में टकराती भी रहती हैं। अपने को सत्य और दूसरों को झूठा भी ठहराती रहती हैं इसलिए इस साम्प्रदायिकता को लोग कोसने भी लगे हैं। उसकी ओर से उदासीन भी होते जा रहे हैं। विग्रह के बीज बोने अंधविश्वास फैलाने जैसे लांछन भी लगते रहते हैं। धर्म की व्याख्या, परिभाषा विभिन्न तत्त्वदर्शियों ने विभिन्न प्रकार से की है। भारत में उनके लक्षणों की संख्या दस बतायी जाती रही है, पर विभिन्न शास्त्रकारों के मत से उनके लक्षण एक नहीं हैं। उनमें अनेकता विद्यमान है। जिनके बारे में अधिकांश आप्तजनों की सहमति है, वे- (1) सत्य (2) विवेक (3) संयम (4) कर्त्तव्य पालन (5) अनुशासन (6) व्रतधारण (7) स्नेह-सौजन्य (8) पराक्रम (9) सहकार (10) परमार्थ है। इन्हीं की इस पुस्तक में व्याख्या की गई है और आशा की गयी है कि उन्हें सार्वभौम स्तर की मान्यता मिलेगी। सभी वर्गीकरण से सहमत होंगे।
Publication Yug nirman yojana press
Publisher Yug Nirman Yojana Vistara Trust
Size normal
TOC 1. सत्य को तथ्य की स्थिति तक पहुँचाया जाय 2. विवेक का अनुशासन मानें 3. संयम बरतें सुखी रहें 4. कर्त्तव्य पालन का पुण्य परमार्थ 5. अनुशासन और संगठन 6. आदर्शों का निर्वाह - व्रतशीलता से 7. स्नेह-सौजन्य की मोदभरी प्रक्रिया 8. पराक्रम करें पुरुषार्थ अपनाएं 9. सहकारिता के अधिकाधिक विस्तार की आवश्यकता 10. परमार्थ की उदारता 11. अध्यात्म जगत के पंचशील 12. संपर्क क्षेत्र की देश भक्ति 13. मानवी गरिमा के प्रति आस्था 14. मौलिक अधिकारों की मांग उभरे 15. न्याय निष्ठा को क्षति न पहुँचे 16. आत्मोत्कर्ष के लिए ईश्वर आस्था



Related Products

ADHYATM KYA THA KYA HO GAYA ?

Price: ₹ 15/-

ADRASYA JAGAT KA PARYAVEKSHAN

Price: ₹ 16/-

BHARTIYA SANSKRITI JIVAN DARSHAN

Price: ₹ 33/-

CHHAPAN BHOG

Price: ₹ 40/-

DAVI SHAKTI KE ANUDAN VARDAN

Price: ₹ 15/-

DEV SANSKRITI KA MERUDAND VANPRASTH

Price: ₹ 9/-

DHARM KE 10 LAKSHAN PANCH SHEEL

Price: ₹ 12/-

DHARM TANTRA KI GARIMA AUR KSHAMTA

Price: ₹ 12/-

GAYATRI MAHAVIGYAN -3

Price: ₹ 65/-

GYAN KI MANOVAIGYANIK EVAM SAMAJ SASHTRIYA PADDHATI

Price: ₹ 10/-

ISHWAR SE SAZHEDARI NAFE KA SAUDA

Price: ₹ 12/-

KUCHH DHARMIK PRASHNO KE UCHIT SAMADHAN

Price: ₹ 10/-

KYA DHARM? KYA ADHARM?

Price: ₹ 15/-

MAHILAO KI GAYATRI UPASANA

Price: ₹ 9/-

MANDIR JAN JAGRAN KE KENDRA BANE

Price: ₹ 7/-

PRABUDDHA VARG DHARMTANTRA SAMBHALE

Price: ₹ 6/-

SAMSTA VISHWA KE AJASRA ANUDAN

Price: ₹ 90/-

TEERTH YATRA KYA, KYON, KAISE?

Price: ₹ 5/-

UDHREDATMANA UTMANAM

Price: ₹ 6/-

VIVEK KI KASAUTI

Price: ₹ 5/-