Author |
PANDIT SHRIRAM SHARMA ACHARYA |
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Descriptoin |
1- Vedant Darshan
2- Mimansa Darshan
3-Sankhya Darshan
4-Yog Darshan
5-Vaisheshik Darshan
6-Nyay Darshan |
Dimensions |
257mm X193mm X 41mm |
Edition |
2010 |
Language |
Assamese |
Language |
Hindi |
PageLength |
752 |
Preface |
किसी वस्तु के स्वरूप का यथार्थ निर्णय करने की विधि को मीमांसा कहते हैं । भारतीय धर्म का मूल ग्रन्थ वेद है । वेद के दो भाग हैं-एकको कर्मकाण्ड, दूसरे को ज्ञानकाण्ड कहते हैं । कर्मकाण्ड में याज्ञिक क्रियाओं एवं अनुष्ठान की विधियों का वर्णन किया गया है ज्ञानकाण्ड में ईश्वर, जीव एवं प्रकृतिगत पदार्थों के स्वरूप और सम्बन्ध का निरूपण किया गया है । एक परिभाषाके अनुसार इष्ट की प्राप्ति एवं अनिष्ट-परिहार के अलौकिक उपाय बतलाने वाले ग्रन्थ को वेद कहा जाता है । इष्ट की प्राप्ति एवं अनिष्ट का परिहार धर्माचरण से ही हो सकता है । हमें जो करना चाहिए और जैसा होना चाहिए जैसे प्रश्नों का समाधान धर्मशास्त्र या वेद ही कर सकते हैं, मीमांसादर्शन की उत्पत्ति इन्हीं प्रश्नों की वास्तविक जानकारी के लिए हुई है । कर्मकाण्ड एवं ज्ञान के निरूपण में दिखाई पड़ने वाले आपातत: विरोधोंको दूर करने का लक्ष्य लेकर मीमांसा दर्शन की प्रवृत्ति होती है । इसे कर्म मीमांसा भी कहते हैं,क्योंकि इसमें कर्मकाण्ड की मीमांसा की गई है; परन्तु सामान्य तौर पर इसे मीमांसा नाम से ही अभिहित किया गया है । ज्ञानकाण्ड का यथार्थ निरूपण करने वाले दर्शन को ज्ञान मीमांसा कहते हैं, जिसे सामान्यतया वेदान्त कहते हैं । वेद का पूर्व खण्ड कर्मकाण्ड तथा उत्तरखण्ड ज्ञानकाण्ड होने के कारण मीमांसा को पूर्व मीमांसा तथा वेदान्त को उत्तर मीमांसा कहते हैं । मीमांसा दर्शन में वैदिक कर्मकाण्डों की समस्याओं और शंकाओं का समाधान किया गया है, इसी कारण दूसरे सम्प्रदाय के अनुयायियों के लिए भी इसकी उपादेयता बढ़ जाती है; परन्तु दूसरा पक्ष इसीलिए इसे दर्शन मानने से इनकार भी करता है । उसका कहना है कि इसके मूल सूत्र ग्रन्ध में प्रमाणों के अतिरिक्त और किसी भी दार्शनिक तत्त्व का समावेश नहीं है । |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Size |
big |
TOC |
1 मीमांसा दर्शन
2 न्याय एवं वैशेषिक दर्शन
3 सांख्य एवं योगदर्शन
4 वेदांत दर्शन |
TOC |
1 मीमांसा दर्शन
2 न्याय एवं वैशेषिक दर्शन
3 सांख्य एवं योगदर्शन
4 वेदांत दर्शन |
TOC |
1. विषय सूची
2. अध्याय पाद
3.भूमिका
4. प्रथम
a. द्वितीय
b. तृतीय
c. चतुर्थ
5. द्वितीय प्रथम
a. द्वितीय
b. तृतीय
c. चतुर्थ
6. तृतीय प्रथम
a. द्वितीय
b. तृतीय
c. चतुर्थ
d. पंचम
e. षष्ठ
f. सप्तम
g. अष्टम
7. चतुर्थ प्रथम
a. द्वितीय
b. तृतीय
c. चतुर्थ
8. पञ्चम प्रथम
a. द्वितीय
b. तृतीय
c. चतुर्थ
9. षष्ठ प्रथम
a. द्वितीय
b. तृतीय
c. चतुर्थ
d. पंचम
e. षष्ठ
f. सप्तम
10. अध्याय पाद
a. अष्टम
11. सप्तम प्रथम
a. द्वितीय
b. तृतीय
c. चतुर्थ
12. अष्टम प्रथम
a. द्वितीय
13. तृतीय
14. चतुर्थ
15. नवम प्रथम
16. द्वितीय
17. तृतीय
a. चतुर्थ
18. दशम प्रथम
19. द्वितीय
a. तृतीय
b. चतुर्थ
c. पंचम
d. षष्ठ
e. सप्तम
f. अष्टम
20. एकादश प्रथम
a. द्वितीय
b. तृतीय
c. चतुर्थ
21. द्वादश प्रथम
a. द्वितीय
b. तृतीय
c. चतुर्थ
d. परिशिष्ट
22. सूत्रानुक्रमणिका |