SRISTA KA ASTITVA SRASTI KE KAN...
Author |
Pt. shriram sharma |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |
Language |
Hindi |
PageLength |
96 |
Preface |
प्राण ऊर्जा के आदान- प्रदान का भौतिकीय आधार
सामान्यतया यह माना जाता है कि वैज्ञानिक समुदाय नास्तिक होता है, वह ईश्वर में कदापि विश्वास नहीं करता ।। किंतु इसके विपरीत एक पाश्चात्य लेखक ने अपने अनुभव व चर्चा- परामर्श के निष्कर्षों के आधार पर धारणा बनाई है कि वैज्ञानिक प्रकारांतर से ईश्वरीय सत्ता में विश्वास रखते हैं ।। साइंस डाइजेस्ट में प्रकाशित लेख में विद्वान डॉ कॉर्ल जुस्टांग ने लिखा है कि संसार का हर परमाणु एक निर्धारित नियम व्यवस्थानुसार कार्य करता है ।। यदि इसमें तनिक भी व्यतिक्रम या अनुशासनहीनता दृष्टिगोचर होने लगे तो यह विराट ब्रह्मांड एक क्षण भी अपने वर्तमान अस्तित्व को नहीं रख पाएगा ।। यदि ऐसा होता तो एक कण के विस्फोट से अनंत प्रकृति में आग लग जाती और यह संसार अग्नि की लपटों में घिरा एक तप्त पिंड भर होता ।।
नियामक विधान किसी चेतन व्यष्टि सत्ता का अस्तित्व में होना प्रमाणित करता है ।। हमारे जीवन का आधार सूर्य है ।। वह १० करोड़ ६० लाख मील की दूरी से अपनी प्रकाश- किरणें भेजता है जो ८ मिनट में पृथ्वी तक पहुँचती हैं ।। दिनभर में यहाँ के वातावरण में इतनी सुविधाएँ एकत्र हो जाती हैं कि रात आसानी से कट जाती है ।। दिन- रात के इस क्रम में एक दिन का भी अंतर पड़ जावे तो जीवन संकट में पड़ जाए ।। सूर्य के लिए पृथ्वी समुद्र में एक बूँद का- सा नगण्य अस्तित्व रखती है, फिर उसकी तुलना में रूस के साईबेरिया प्रांत में एक गड़रिये के घर में जी रही एक चींटी का क्या अस्तित्व हो सकता है? पर वह भी मजे में अपने दिन काट लेती है ।।
वैज्ञानिक भी इसी निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि यह धरती अन्य ग्रह- नक्षत्रों की तुलना में अत्यधिक सौभाग्यशाली है ।। |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Size |
normal |
TOC |
1. प्राण ऊर्जा के आदान-प्रदान का भौतिकीय आधार
2. जड़-चेतन सबमें समाई एक ही शक्ति
3. चैतन्य ऊर्जा का आदि-स्रोत सूर्य
4. स्रष्टा की एक अद्भुत संरचना : पृथ्वी
5. व्यष्टि व समष्टि सत्ता के संपर्क सूत्र : ध्रुवकेन्द्र
6. ऊर्जा के विनिमय की सुनियोजित विधि-व्यवस्था
7. यहाँ ध्रुव कुछ नहीं, सभी परिवर्तनशील है
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