SADHANA VIGYAN KI TATVIK
Price: ₹ 18/-



Product Detail

Author Pt. shriram sharma
Dimensions 12 cm x 18 cm
Edition 2012
Language Hindi
PageLength 66
Preface आध्यात्मिक दृष्टि से मानवी सत्ता का विश्लेषण किया जाय, तो उसे तीन भागों में विभक्त किया जा सकता हैं। पहला- अस्थि, मांस का पंचतत्वों का बना पिण्ड जिसे स्थूल शरीर कहते हैं। ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों के द्वारा इसके माध्यम से विविध- विधि क्रियाएँ सम्पन्न की जाती हैं। दूसरा- मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार द्वारा बना, शब्द- रूप की तन्मात्राओं से विनिर्मित अनुभूतियों, इच्छाओं और प्रेरणाओं का आधार सूक्ष्म शरीर जिसे माइण्ड या ज्ञान संस्थान कहते हैं ।। तीसरा- आस्थाओं, मान्यताओं आकांक्षाओं का उद्गम ।। जीवन की दिशाओं का निर्धारण करने वाला कारण शरीर जिसे अन्तरात्मा अथवा अन्तःकरण भी कहते हैं। भाव- संवेदनाएँ, उच्चस्तरीय आवेग यहीं जन्म लेते हैं। संक्षेप में इन तीनों को क्रमश: क्रियाशक्ति, ज्ञानशक्ति और इच्छाशक्ति का उद्गम केन्द्र कह सकते हैं। इन तीनों का समन्वित रूप ही मानवी सत्ता है। साधना की दृष्टि से इन तीनों की विवेचना आवश्यक है। जब तक संरचना का ज्ञान न होगा- प्रतिक्रियाओं व परिणति की जानकारी कैसे होगी ? इसी कारण साधना- विधान के विस्तार में जाने वाले साधकों को पहले स्प्रिचुअल एनॉटामी की जानकारी करायी जाती हैं। साधना क्रमों का चयन इस प्रारम्भिक शिक्षण के बाद ही किया जाना उचित होता हैं। तीनों शरीरों की महत्ता और सामर्थ्य अपने आप में अलग एवं अद्भुत है। स्थूल शरीर द्वारा सम्भव श्रम का मूल्य स्वल्प है। वह तो पशु मशीनों द्वारा भी कराया जा सकता है। महत्त्वपूर्ण तो है पंचतत्वों द्वारा विनिर्मित यह कलेवर जिसके माध्यम से अन्य दो सूक्ष्म गहराई में विराजमान परतें अपनी प्रतिक्रियाएँ व्यक्त करती हैं ।।
Publication yug nirman yojana press
Publisher Yug Nirman Yojana Vistara Trust
Size normal
TOC • साधना विज्ञान की तात्विक पृष्ठभूमि • साधना की सफलता में मार्ग दर्शक की महत्ता • सुपात्र पर ही देवी अनुदान बरसते हैं • साधना की महानता • साधना का उद्देश्य और स्वरूप • दो अनिवार्य अवलम्बन • सर्वतोमुखी प्रगति की सरल साधना • अंतरंग के परिष्कार की व्यवहारिक साधनाएँ • आहार शुद्धि और साधना • अंतरंग के परिष्कार की व्यावहारिक साधनाएँ • यथार्थता को समझें • साधना से सिद्धि में बाधक संचित दुष्कर्म • संस्कार युक्त बातावरण की आवश्यकता • अन्तःकरण चतुष्टय और साधना विज्ञान • साधना के अनिवार्य अंग • नवरात्रि पर्व पर साधना करने का महत्व



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