Author |
Pt shriram sharma acharya |
Author |
Pt. Shriram sharma acharya |
BImage |
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Descriptoin |
SET OF 10 BOOKS, |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |
Edition |
2014 |
Language |
Hindi |
PageLength |
32 |
Preface |
आग की उपयोगिता सर्वविदित है । उसके अनेकानेक उपयोग हैं । यदि वह न हो तो रसोई बनाना शीत निवारण प्रकाश जैसी आवश्यकताएँ भी पूरी न हो सकें और जो अनेक प्रकार के रसायन बनते हैं धातु शोधन जैसे कार्य होते हैं उनमें से एक भी न बन पड़े और जीवन दुर्लभ हो जाय । बिजली भी अब जीवन की महती उपयोगिताओं में आवश्यकताओं में सम्मिलित हो गयी है। घरों में बत्ती, पंखा, हीटर, कूलर, स्त्री आदि उसी के सहारे चलते हैं । वही पम्प चलाती और खेतों को सींचती है । यदि बिजली गुम हो जाय तो दैनिक काम निपटाना कठिन हो जाता है ।
आग और बिजली की तरह ही ज्ञानेन्द्रियों की उपयोगिता है । हमारी समस्त गतिविधियाँ उन्हीं के सहारे चलती हैं । आँखें न हों तो ? कान न हों तो ? जीभ न हो तो-देखना सुनना और बोलना कठिन हो जाय और मनुष्य अंधा, गूँगा, बहरा बनकर मिट्टी के ढेले की तरह किसी प्रकार जीवित भर रह सकेगा । हाथ-पैर न हो तो वह गोबर के चोथ जैसा बैठा रहेगा और साँस भर लेता रहेगा । आग और बिजली की तरह भगवान ने इन्द्रियाँ भी इसीलिये दी हैं कि उनसे कठिनाइयों का हल निकाला जाय और प्रगति का द्वार खोला जाय ।
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Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Size |
normal |
TOC |
1. वासना-इन्द्रिय शक्ति के साथ खिलवाड़
2. तृष्णा-दुर्गति की गहरी खाई
3. अंहकार में धारा ही धारा
4. आलस्य प्रमाद को जीते हर क्षेत्र में सफल बनें
5. भव बन्धनों से मुक्ति और स्वर्ग प्राप्ति, आत्मोत्कर्ष के मार्ग में तीन प्रमुख बाधायें
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TOC |
1 मरणोत्तर शांति प्रयोग
2 मरणोत्तर जीवन और उसकी सच्चाई
3 भव-बन्धनो से मुक्त हों
4 पितर हमारे अदृश्य सहायक
5 स्वर्ग-नरक की स्वसंचालित प्रक्रिया
6 भूत कैसे होते हैं ? क्या करते हैं ?
7 पितरों कों श्रद्धा दें, वे हमें शक्ति देंगे
8 मरने के बाद हमारा क्या होता है
9 तत्व दृष्टि से बन्धन मुक्ति
10 मरणोत्तर श्राद्ध कर्म - विधान |
TOC |
1 मरणोत्तर जीवन और उसकी सच्चाई
2 मैं क्या हूँ ?
3 मरणोत्तर जीवन तथ्य सत्य -16
4 तत्व दृष्टि से बन्धन मुक्ति
5 मरने के बाद हमारा क्या होता है
6 पितरों कों श्रद्धा दें, वे हमें शक्ति देंगे
7 भूत कैसे होते हैं ? क्या करते हैं ?
8 स्वर्ग-नरक की स्वसंचालित प्रक्रिया
9 पितर हमारे अदृश्य सहायक
10 भव-बन्धनो से मुक्त हों |