Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Dimensions |
121X178X6 mm |
Edition |
2010 |
Language |
Hindi |
PageLength |
168 |
Preface |
महाभारत का युद्ध प्रारम्भ होने में कुछ दिन ही शेष थे ।। कौरव और पाण्डव दोनों पक्ष अपनी- अपनी तैयारियाँ कर रहे थे युद्ध के लिए ।। अपने- अपने पक्ष के राजाओं को निमंत्रित कर रहे थे ।। भगवान् श्रीकृष्ण को निमन्त्रित करने के लिए अर्जुन और दुर्योधन एक साथ पहुँचे ।। भगवान् ने दोनों के समक्ष अपना चुनाव प्रश्र रखा ।। एक ओर अकेले शस्त्रहीन श्रीकृष्ण और दूसरी ओर श्रीकृष्ण की सारी सशस्त्र सेना इन दोनों में से जिसे जो चाहिए वह माँग ले ।। दुर्योधन ने सारी सेना के समक्ष निरस्त कृष्ण को अस्वीकार कर दिया; किन्तु अपने पक्ष में अकेले निरस्त भगवान् कृष्ण को देखकर अर्जुन मन- ही बड़ा प्रसन्न हुआ ।। अर्जुन ने भगवान् को अपना सारथी बनाया ।। भीषण संग्राम हुआ ।। अन्तत: पांडव जीते और कौरव हार गये ।। इतिहास साक्षी है कि बिना लड़े भगवान् कृष्ण ने अर्जुन का सारथी मात्र बनकर पाण्डवों को जिता दिया और शक्तिशाली सेना प्राप्त करके भी कौरव को हारना पड़ा ।। दुर्योधन ने भूल की जो स्वयं भगवान् के समक्ष सेना को ही महत्त्वपूर्ण समझा और सैन्य बल के समक्ष भगवान् को ठुकरा दिया ।।
किन्तु आज भी हम सब दुर्योधन बने हुए हैं और निरन्तर यही भूल करते जा रहे हैं ।। संसारी शक्तियों, भौतिक सम्पदाओं के बल पर ही जीवन संग्राम में विजय चाहते हैं, ईश्वर की उपेक्षा करके, हम भी तो भगवान् और उनकी भौतिक स्थूल शक्ति दोनों में से दुर्योधन की तरह स्वयं ईश्वर की उपेक्षा कर रहे हैं और जीवन में संसारी शक्तियों को प्रधानता दे रहे हैं; किन्तु इससे तो कौरवों की तरह असफलता ही मिलेगी ।। |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Size |
normal |
TOC |
• मानव जीवन और ईश्वर विश्वास
• हम महान ईश्वर के महान पुत्र हैं
• ईश्वर हमारा सच्चा जीवन सहचर है
• ईश्वर है या नहीं?
• ईश्वर और उसकी अनुभूति
• सर्वशक्तिमान परमेश्वर और उसका सान्निध्य
• परमात्मा की अनन्द अनुकम्पा और उसके दर्शन
• हम ईश्वर से विमुख न हों
• परमात्मा का दर्शन कैसे मिले?
• ईश्वरोपासना के सत्परिणाम
• ईश्वर उपासना से महान आध्यात्मिक लाभ
• जीवन को भव्य बनाने वाली ब्रह्मविद्या
• भगवान आपके अन्दर सोया है, उसे जगाइए
• परमेश्वर के साथ अनन्य एकता का मार्ग
• परमात्मसत्ता से सम्बद्ध होने का माध्यम
• उपासना आवश्यक है और अनिवार्य भी
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