Preface
सृष्टिकर्ता ने मनुष्य को एक अद्भुत- अपूर्व वस्तु प्रदान की है ।। वह वस्तु है उसका "मन" ।।
"मन" में अनंत शक्ति निहित है ।। मनुष्य अपनी इस शक्ति का सदुपयोग भी कर सकता है और दुरुपयोग भी ।।
कठिनाई यह है कि आज अधिकांश मनुष्य अपने "मन" की आश्चर्यजनक शक्तियों से अपरिचित हैं ।। फलत: वे मन की शक्तियों का जितना सदुपयोग किया जा सकता है, वह तो कर नहीं पाते अपितु दुरुपयोग ही करते उन्हें सर्वत्र देखा जा रहा है ।।
मातृसत्ता श्रद्धांजलि पुस्तक माला के इस ८२वें पुष्प में मन की अपरिमित शक्तियों की एक झलक मात्र दी जा रही है ।। जो जिज्ञासु हैं वे आगे का मार्ग स्वत: ढूँढ लेंगे ।।
Table of content
1. मन की प्रचण्ड शक्ति
2. मानसिक बल और उसका विकास
3. निग्रहित मन की चमत्कारिक क्षमता
4. मन को अपना मित्र बनायें
5. मन: शक्तियों का सदुपयोग
6. मनोबल न गिरायें, साहस प्रदान करें
7. मनोयस्य वशे तस्य भवेत्सर्वं जगद्वशे
8. नियति की चुनौती स्वीकार करें
9. चेतना शक्ति का भण्डागार मानव मन
10. मनोविकार हमारे सबसे बड़े शत्रु
11. मन को दुर्बल न बनने दें
12. स्वाध्याय और मनन मानसिक परिष्कार के दो साधन
13. मानसिक सुख शान्ति के उपाय
14. मानसिक शान्ति इस तरह बर्बाद न करें
15. सुखाकांक्षा में भटकती अविकसित मन:स्थिति
16. मानसिक असन्तुलन स्वास्थ्य संकट का मूल कारण
Author |
Pt. Shriram Sharma Acharya |
Edition |
2013 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistar Trust |
Page Length |
80 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |