Preface
जन्म-मरण, पालन-पोषण, आत्म-रक्षा और वंशवृद्धि की दृष्टि से मनुष्य तथा अन्य प्राणियों में कोई विशेष अंतर दिखाई नहीं पड़ता । पर ज्ञान, विवेक, सद्भावना, परोपकार, परमार्थ आदि कुछ ऐसी बातें हैं, जो मनुष्य में ही पाई जाती हैं । पर ये भी सब मनुष्यों में नहीं होतीं, वरन् जिनको जन्म लेने के पश्चात् अपने घर में, परिवार में, अड़ोस-पड़ोस में, संगी-साथियों में सुसंस्कार ग्रहण करने का अवसर मिलता है, वे ही मानव नाम को चरितार्थ करने में सफल होते हैं । इसलिए परिवारी जनों का यह कर्त्तव्य ही नहीं, परम धर्म है कि यदि वे संतानोत्पादन करते हैं तो उनको सुसंस्कारी बनाने योग्य वातावरण भी अपने यहाँ बनाएँ ।
Table of content
1. सुसंस्कारिता संवर्धन एक महती समाज सेवा
2. श्रेष्ठतम और सहज समाज सेवा
3. परिवार निर्माण एक अनिवार्य उपयोगी प्रयास
4. परिवार में सुसंस्कारिता का वातारण
5. पारिवारिक पंचशीलों का पालन
Author |
Pt. Shriram Sharma Acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistar Trust |
Page Length |
56 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |