Preface
जो स्वयं बदल सकेगा वही युग को बदलने की भूमिका भी संपादित करेगा जो स्वयं कीचड़ में डूबा हुआ खडा है वह किसी अन्य को स्वच्छ कैसे करेगा ? यदि हमने अपने को नहीं बदला और दूसरों को उपदेश करने का पाण्डित्य दिखाना जारी रखा तो यह एक उपहासास्पद विडंबना होगी अपनी गतिविधियाँ सुधारें और संसार हित नियोजित करें तो सत्परिणाम निश्चित रूप से सामने आएगा ।
Table of content
1. जीवन जीने की कुशलता
2. व्यवहार की शिष्टता प्रत्यक्ष फलदायी
3. प्रशंसा की सृजनात्मक शक्ति
4. आलोचनाओं से डरिये मत
5. संतुलित दृष्टिकोण ही सफलता का राजमार्ग
Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistar Trust |
Page Length |
40 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |