Preface
धन की तरह ही ज्ञान की भी आवश्यकता है ।। कम धन से काम चल सकता है पर कम ज्ञान से नहीं ।। हमें अधिकाधिक विज्ञ होना चाहिए ताकि सामयिक तथ्यों से परिचित हो सकें और जो ज्ञान- भंडार उपलब्ध है उसका लाभ उठा सकें ।। यह प्रयोजन आवश्यक विषयों की पुस्तकें ही पूरा कर सकती हैं ।। हमें उद्योगी और क्रिया कुशल होना चाहिए, साथ ही अध्ययनशील भी ।। संसार के शत प्रतिशत देशों के नागरिक अध्ययनशील होते हैं ।। जापान जैसे छोटे से देश में समाचारपत्र इतनी अधिक संख्या में छपते और पढ़े जाते हैं जिसकी जानकारी प्राप्त करके हमें भारी आश्चर्य होता है ।। यही बात वहां के पुस्तक लेखन प्रकाशन एवं विक्रय व्यवसाय के संबंध में है ।। वह अन्न वस्त्र के बाद तीसरे नंबर का उद्योग है ।।
Table of content
1. पुस्तकालय सच्चे देवालय
Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Publication |
Yug Nirman Yojna Trust, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yojna Trust |
Page Length |
32 |
Dimensions |
9 X 12 cm |