Preface
महिला समाज में जाग्रति आते देखकर कहीं- कहीं पुरुष वर्ग को यह भय लगने लगता है कि नारी अब तक हुए अत्याचारों का प्रतिशोध न लेने लगे ? ऐसा सोचना ठीक नहीं है क्योंकि नारी का सृजन जिन तत्त्वों से हुआ है, उनमें क्षमा और करुणा का ही बाहुल्य है ।। यों वह धारण तो शरीर भी किए रहती है, पर तात्त्विक विश्लेषण करने पर उसके अतल और बहिरंग में आत्मा ही आत्मा दीप्तिमान दीखती है ।। आत्मीयता का अजस्र निर्झर उसके अंतःकरण से निस्सृत होता है ।। उसमें बहिरंग जीवन का आए दिन गिरते रहने वाला कूड़ा- करकट अनायास ही बहता चला जाता है ।। स्नेह- सौजन्य की मूल सत्ता बिना तनिक भी विकृत हुए अपने स्थान पर यथावत बनी रहती है ।। नारी की यह आध्यात्मिक विशेषता समस्त मनुष्य समाज को गौरवान्वित करती है ।। नारी में अद्भुत सहनशीलता और उदारता है ।। जन्म से लेकर युवा होने तक बच्चे पग- पग पर उसे तरह- तरह से हैरान करते करते हैं ।। उससे असीम अनुकंपा पाते हुए भी निरंतर लड़ते- झगड़ते, अपमान बरतते और कृतघ्नता व्यक्त करते उन्हें सदा देखा जा सकता है ।। कभी श्रद्धासिक्त कृतज्ञता की अभिव्यक्ति कदाचित ही कोई संतान करती होगी ।। जब देखो तब दोष देना, दबाना और झल्लाना ही बदले में बरसता है ।। नादान बच्चे ही ऐसा नहीं करते वरन बराबर वाले और बड़े भी वही रीति अपनाते रहते हैं ।। भाई- भतीजे से लेकर पति और देवर, जेठ सदा हुकूमत चलाते, रोब गाँठते और किसी न किसी बहाने सताते ही देखे जाते हैं ।।
Table of content
नारी की महानता को पहचानें
Author |
Mata Bhagwati Devi Sharma |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug Nirman Yojna Trust, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yojna Trust |
Page Length |
24 |
Dimensions |
12 X 18 cm |