Preface
युवा शक्ति नई पीढ़ी के सन्दर्भ में जब कोई चर्चा चलती है, तो एक तथ्य पर सभी का ध्यान जाता है । वह यह कि युवा पीढ़ी में ऊर्जा तो बहुत है; किन्तु दिशा सही नहीं बन पा रही हैं, भटकाव काफी है । भटकाव का मूल कारण होता है, सही मार्ग का पता न होना तथा ओछे प्रलोभनों से बचने योग्य विवेक और सत्साहस का अभाव । चिन्तन एकांगी होने से भटकाव स्वाभाविक है । इसलिए युवा वर्ग को जीवन के बारे में विज्ञान सम्मत समग्र दृष्टि का बोध कराया जाना जरूरी है ।
जीवन विज्ञान, जीवन विद्या, जीवन जीने की कला के विशेषज्ञों (प्राचीन ऋषियों से लेकर आज के विचारकों तक) का यह मत है कि जीवन की वाञ्छित सफलता के लिए जरूरी है कि जीवन की सभी विभूतियों, उसके सभी अंगों का संतुलित उपयोग किया जाय । जीवन को एकांगी न रहने दिया जाय, उसे सर्वांगीण बनाया जाय । वर्तमान समय में ज्ञान, विज्ञान एवं तकनीकों के असाधारण विकास के बावजूद मनुष्य जिन समस्याओं- विडम्बनाओं से घिरा है । वह स्वस्थ, सुखी, संतुष्ट, शांतिमय जीवन की कामना करते हुए भी रोगों, कष्टों, तनाव, अवसाद, अशांति आदि से त्रस्त है, उसका कारण जीवन के एकांगीपन को ही माना जाता है ।
जीवन को सही ढंग से जीने के लिए उसके कम से कम तीन आयामों को समझना तथा उनका परस्पर संतुलन बनाना जरूरी है । तीन मुख्य आयाम हैं- १. काया, २. विचार तथा ३. चेतना । इन तीनों के संयोग, सन्तुलित, समन्वय से ही हमारा जीवन स्वरूप लेता है ।
Table of content
1. चाहिए जीवन समग्र दृष्टि
2. उच्च दक्षता वाला (कैरियर) -
3. आदर्श युवा बनें
4. युवा पराक्रम की दिशाधारा
5. विवेकपूर्णहल
6. संगठन और उसकी मर्यादाएँ
7. संगठन के सन्दर्भ में
8. विकास और सावधानियाँ
9. सावधान रहें
10. आन्दोलन समूह
Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Brahmavarchsva |
Publisher |
Shree Vedmata Gayatri Trust (TMD) |
Page Length |
36 |
Dimensions |
12 X 18 cm |