Preface
अच्छा स्वास्थ्य और अच्छी समझ जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं ।। संसार के सारे कार्य स्वास्थ्य पर निर्भर हैं ।। जिस काम के करने में किसी प्रकार की तकलीफ न हो, श्रम से जी न उकताए, मन में काम करने के प्रति उत्साह बना रहे और मन प्रसन्न रहे और मुख पर आशा की झलक हो, यही शरीर के स्वाभाविक स्वास्थ्य की पहचान है ।। स्वाभाविक दशा में बिना किसी प्रकार की कठिनाई के साँस ले सके, आँख की ज्योति और श्रवण शक्ति ठीक हो, फेफड़े ठीक- ठीक आँक्सीजन को लेकर कार्बन डाइआक्साइड को बाहर निकालते हों, आदमी के सभी निकास के मार्ग- त्वचा, गुदा, फेफड़े ठीक अपने कार्य को करते हों, वह व्यक्ति पूर्णतया स्वस्थ है ।। हम सभी लोग जानते हैं कि ऐसा आदमी ही बीमार पड़ता है जिसका जीवन नियमित नहीं है और प्रकृति के साथ पूरा- पूरा सहयोग नहीं कर रहा है ।। हमारा सदा सहायक सेवक शरीर है ।। ये चौबीस घंटे सोते- जागते हमारे लिए काम करता है ।। वफादार सेवक को समर्थ निरोग एवं दीर्घजीवी बनाए रखना प्रत्येक विचारशील का कर्त्तव्य है ।। केवल स्वस्थ व्यक्ति ही धनोपार्जन, सामाजिक, नैतिक, वैयक्तिक सब कर्त्तव्यों का पालन कर सकता है ।। जिसका स्वास्थ्य अच्छा है उसमें प्राण शक्ति अधिक होती है जिसके कारण सुख- शांति का अक्षय भंडार उसे प्राप्त होता है ।। स्वास्थ्य लाभ के लिए स्वास्थ्य के नियमों का पालन करना आवश्यक होता है ।। आदतों और दिनचर्या का स्वास्थ्य से घनिष्ठ संबंध है ।।
Table of content
1. स्वास्थ्य क्या है
2. स्वास्थ्य गँवा बैठने में कोई समझदारी नहीं
3. स्वास्थ्य रक्षा की छोटी किन्तु महत्त्वपूर्ण बातें
4. मानसिक संतुलन इस प्रकार सही हो
5. समग्र स्वास्थ्य का शुभारम्भ आत्मनिर्माण से
6. समर्थ प्रगतिशीलता कैसे अर्जित हो
7. परिवार परिकर की सदस्यता
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2014 |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
48 |
Dimensions |
181mmX120mmX3mm |