Preface
गायत्री उस बुद्धि का नाम है जो अच्छे गुण एवं कल्याणकारी तत्त्वों से भरी होती है । उसकी प्रेरणा से मनुष्य का शरीर और मस्तिष्क ऐसे रास्ते पर चलता है, कि कदम-कदम पर कल्याण के दर्शन होते हैं । हर कदम पर आनंद का संचार होता है । हर क्रिया उसे अधिक पुष्ट, सशक्त और मजबूत बनाती है तथा वह दिनोदिन अधिकाधिक गुण व शक्तिवान बनता जाता है; जबकि दुर्बुद्धि से उपजे विचार और काम हमारी प्राणशक्ति को दिन-प्रतिदिन कम करते जाते हैं । दुर्बुद्धि से इस अमूल्य जीवन को यों ही गँवा रहे व्यक्तियों के लिए गायत्री एक प्रकाश है, एक सच्चा सहारा है, एक आशापूर्ण संदेश है, जो उनकी सद्बुद्धि को जगाकर इस दलदल से उबारता है, उनके प्राणों की रक्षा करता है व जीवन में सुख-शांति एवं आनंद का द्वार खोल देता है ।
इस तरह गायत्री कोई देवी, देवता या कल्पितशक्ति नहीं है, बल्कि परमात्मा की इच्छाशक्ति है, जो मनुष्य में सद्बुद्धि के रूप में प्रकट होकर उसके जीवन को सार्थक एवं सफल बनाती है ।
Table of content
• गायत्री शक्ति क्या है
• वेदमाता गायत्री की उत्पत्ति
• गायत्री का स्वरुप
• गायत्री साधना का उद्देश्य
• गायत्री ही कामधेनु है
• मंत्रदीक्षा का महत्व
• सफलता के लक्षण
• गायत्री साधना से श्री, समृद्धि और सफलता
• महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान
• गायत्री का शाप विमोचन और उत्कीलन का रहस्य
• गायत्री द्वारा सद्गुनों की वृद्धि
• विश्वमाता की पवित्र उपासना
• गायत्री के चौबीस देवता
• स्त्रियों को गायत्री का अधिकार
• गायत्री साधना से आत्मिक कायाकल्प
• गायत्री की मुर्तिमान प्रतिमा यज्ञोपवीत एवं शिखा
• गायत्री अध्यात्मिक त्रिवेणी है
• त्रिविध दुखों का निवारण
• गायत्री का अर्थ चिंतन
• गायत्री गीता
• अथ गायत्री माहात्म्य
Author |
Pt. Shriram sharma acharya |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
32 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |