Preface
पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने गरीबी को एक चुनौती माना और अपने अखंड अध्यवसाय के बल पर उसे जीतकर यह प्रमाणित कर दिया कि संसार में किसी भी कर्तृत्वशील व्यक्ति के लिए निर्धनता की स्थिति जीवन-विकास में अवरोध नहीं बन सकती। पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने न केवल आर्थिक प्रगति ही करके दिखला दी, वरन् उन गुणों को भी आत्मसात करके दिखला दिया, जो मनुष्यता की शोभा, जीवन की महत्ता और समाज के संराधक होते हैं और जिनका आग्रह अनायास ही आत्मा की ओर खुलने वाले उन झरोखों का उद्घाटन कर देता है, जिसके द्वारा ईश्वरीय आलोक का समागमन होता है।
कलकत्ता से बीस मील दूर पश्चिम में स्थित वीरसिंह गाँव के जिस परिवार में २६ सितम्बर १८२० को पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर का जन्म हुआ था, वह कितना गरीब था ? इसका अनुमान इससे ही लगाया जा सकता है कि उसके पिता ठाकुर दास न जाने कितने दिन जीविका की चिन्ता से, भूखे-प्यासे कलकत्ता की सड़कों पर फिरे हैं और उन्हें दो रुपए माहवार की एक नौकरी मिली तो घर में उत्सव जैसी खुशी छा गई। ऐसे निर्धन परिवार में एक अध्यवसायी तथा गुणी बालक ने जन्म लेकर अपने साथ अपने उस कुल और कुटुम्ब को भी स्मरणीय बना दिया, जिसको सामान्य जीवन की आवश्यकतायें भी सुलभ न थीं।
Table of content
1. ईश्वर चन्द्र विद्यासागर सुधार और परोपकार के देवदूत
Author |
Pt. Shriram sharma acharya |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
32 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |