Preface
शरीर रचना से लेकर मन:संस्थान और अंतःकरण की संवेदनाओं तक सर्वत्र असाधारण ही दृष्टिगोचर होता है, यह सोद्देश्य होना चाहिए अन्यथा एक ही घटक पर कलाकार का इतना श्रम और कौशल नियोजित होने की क्या आवश्यकता थी ?
पौधे और मनुष्य के बीच पाये जाने वाले अंतर पर दृष्टिपात करने से दोनों के बीच हर क्षेत्र में मौलिक अंतर दृष्टिगत होता है । विशिष्टता मानवी काया के रोम-रोम में संव्याप्त है । आत्मिक गरिमा पर विचार न भी किया जाय, तो भी मात्र काय संरचना और उसकी क्षमता पर विचार करें तो भी इस क्षेत्र में कम अद्भुत नहीं है ।
Table of content
1. देव मंदिर के देवता और परमात्मा
2. प्रचंड पुरुषार्थ का प्रतिफल मनुष्य जन्म
3. अद्भुत और विलक्षण मानवी काया
4. सुविकसित संतान के लिए वैज्ञानिक प्रयास
5. गर्भस्थ शिशु का इच्छानुरूप निर्माण
6. प्रायश्चित्त प्रक्रिया से भागिये मत
7. सद्गुरु हमारे ही काय-कलेवर में
Author |
Pt. shriram sharma |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
112 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |