Preface
भारत विशाल जनसंख्या वाला देश है ।। क्षेत्रों की आवश्यकता को देखते हुए युगसंगीत की टोलियों की संख्या बढ़ाना जरुरी हो गया है ।। क्षेत्र में पूर्णकालीन न सही थोड़ा- थोड़ा समय दे सकने वाले संगीतज्ञ ऐसी पर्याप्त संख्या में तैयार हो रहे हैं ।। यह गीत संजीवनी संगीत संग्रह ऐसे ही युग संगीतज्ञों को सहयोग देने की दृष्टि से तैयार की गई है ।। गीत संजीवनी में वे संगीत, भजन आदि शामिल किए गये हैं, जो जनता के बीच बहुत प्रभावशाली सिद्ध हुए हैं ।। इनमें वन्दना, भजन, राष्ट्र जागरण, व्यसनमुक्ति, कुरीति उन्मूलन, सत्प्रवृति संवर्धन, नारी जागरण, साधना, शिक्षा, स्वावलम्बन आदि विविध आंदोलनों से संबधित गीत हैं ।। क्षेत्रीय युग संगीत की टोलियाँ इनका उपयोग विवेक- पूर्वक करें तो किसी भी प्रकार के जन समूह में युग विचारों का संचार सहज एवं सरस ढंग से किया जा सकता है। यदि थोड़ा सा अध्ययन करके, इनके साथ बीच में संक्षिप्त सार्थक टिप्पणियों का अभ्यास किया जा सके फिर तो कहना की क्या है? इस प्रकार भजनोपदेश जैसी शैली के आधार पर छोटी- छोटी संगीत टोलियाँ बडे़- बडे़ उपदेशकों से अधिक प्रभाव फैला सकती है ।। आशा की जाती है कि युगक्रांति के लिए युग संगीत की विधा का प्रयोग करने वाले लोकसेवी गीत संजीवनी पुस्तिका का भरपूर लाभ उठायेंगे इस छोटे से प्रयास को सार्थक बनायेंगे ।।
Table of content
1. कसकर कमर खड़े हो
2. कहाँ छुपा बैठा है!
3. कौमी तिरंगे झण्डे
4. गुरु बिन ज्ञान नहीं
5. गुरुवर ने सौंपी पीर
6. गुरुवर हम शिष्य कहाते हैं
7. गुरु का अमृत मिला जिसे
8. गँवा दिया किसलिए बावरे
9. गुरुदेव! इस अधम पर
10. गुरु चरणों में आकर देखो
11. गुरु रुप की तुम्हारे
12. गढ़ फिर कोई दीप नया
13. गायत्रीमय आप हो गये
14. गुरुसत्ता का मिला हमें
15. गुरु महिमा है अपार
16. ग्राम स्वावलम्बन अभियान
17. गिरजा गिरे न मस्ज़िद
18. गायत्री के महामंत्र से
19. घर- घर अलख जगायेंगे
20. जब- जब पीड़ित पाप- पतन
21 चलो करें स्वागत
22 चलेंगे हम जगत जननी
23 चरणों में तेरे जीना मरना
24 चाहते यदि बनाना जगत
25 चाहता है यदि सफलता
26 जो नहीं दे सका
27 जागेगा इन्सान
28 जीवन ईश्वरीय अनुकम्पा
29 जिसकी साँसे और पसीना
30 जीवन के बुझते दीपों में
31 जिन्दगी हवन करें
32 जगदम्बे सविनय प्रणाम
33 जिसने जल- जलकर
34 जिसे कसे हैं क्रूर प्रथाओं
35 जब- जब सौ- सौ बाँह पसारे
36 जिसके हों पदचिह्न अमिट
37 जन्म लिया फिर भागीरथ
38 जब तक मिले न लक्ष्य
39 जिन गुरु में साकार हो
40 अब नवयुग की गंगोत्री
41 अवतरित हुई माँ गायत्री
42 अनुदान और वरदान प्रभो!
43 अगर हम नहीं देश के
44 अपनी भक्ति का अमृत
45 अंधकार आसुरी वृत्ति का
46 अपना रूप निहारो री
47 अब तेरा दुःख दर्द
48 अद्वितीय है निर्माणों में
49 आदमी आदमी को
50 आज जरूरत भारत माँ को
51 आज आपके लिए दिलों में
52 आ जाना बन ध्यान
53 आओ- आओ सुहागिन नारि
54 आया- आया युग परिवर्तन
55 आज ऐसी कृपा आप कर
56 आत्म साधना ऐसी हो
57 आपका स्वागत है श्रीमान्
Author |
Dr.Pranav Pandya |
Edition |
2014 |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
528 |
Dimensions |
225mmX145mmX29mm |