Preface
नर और नारी के बीच पाए जाने वाले प्राण और अग्नि और सोम; स्वाहा और स्वधा तत्त्वों का महत्त्व, सामान्य नहीं असामान्य है । सृजन और उद्भव की उत्कर्ष और आह्लाद की असीम संभावनाएँ उसमें भरी पड़ी हैं, प्रजा उत्पादन तो उस का बहुत ही सूक्ष्म या स्थूल और अति तुच्छ परिणाम है । सृष्टि के मूल कारण और चेतना के आदि स्रोत, इन द्विधा संस्करण और संचरण का ठीक तरह मूल्यांकन किया जाना चाहिए और इस तथ्य पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि, इनका सदुपयोग किस प्रकार विश्वकल्याण की सर्वतोमुखी प्रगति में सहायक हो सकता है और उनका दुरुपयोग मानवजाति के शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार क्षीण-विकृत करके, विनाश के गर्त में धकेलने के लिए दुर्दांत दैत्य की तरह सर्वग्रासी संकट उत्पत्र कर सकता है, कर रहा है ।
Table of content
1. आध्यात्मिक काम विज्ञान
2. सृष्टि में संचरण और उल्लास की प्रवृत्ति
3. काम-क्रीड़ा की उपयोगिता ही नहीं, विभीषिका का भी ध्यान रहे
4. नर-नारी का मिलन-एक असामान्य प्रक्रिया
5. कामप्रवृत्तियों का नियंत्रण-परिष्कृत अंतःचेतना से
6. काम की उत्पत्ति-उद्भव
7. अखंड आनंद की प्राप्ति
Author |
Pt. shriram sharma |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
120 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |