Preface
ज्योतिष क्या है ?
आकाश में स्थित सूर्य, चन्द्र, मंगल आदि ज्योतिर्पिण्डों के संचार और उनसे बनने वाले गणितागत पारस्परिक सम्बन्धों के पृथ्वी के जड़- चेतन, वृक्ष- वनस्पति, जीव- जन्तु पशु- पक्षी तथा प्राणीमात्र पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण करने वाली विद्या का नाम ज्योतिष शास्त्र है ।। अध्ययन की दृष्टि से ज्योतिष शास्त्र के मुख्य दो भेद हैं -
१. गणित ज्योतिष- एस्ट्रानामी ASTRONOMY जिससे पंचांग आदि बनाये जाते हैं ।।
२. फलित- ज्योतिष- एस्ट्रालॉजी ASTROLOGY जिससे ग्रहों के फल का विचार होता है ।। वाराह- मिहिर के अनुसार ग्रह गणित तथा ग्रह रश्मि को मिलाकर त्रिष्कन्ध ज्योतिष शास्त्र का निर्माण हुआ है ।। इस तरह गणित ज्योतिष को तीन खण्ड में विभाजित किया गया है ।।
१. सिद्धांत गणित- इसमें सृष्टि के आदि (कल्प) से ग्रह आदि स्पष्ट करने की विधि दी हैं ।।
२. तन्त्र- विभाग- इसमें युग (वर्तमान कलयुग) से गणित करने की रीति दी गई है ।।
३. करण- विभाग- इसमें इष्ट शाका से गणित करने की रीति दी गई है ।।
सृष्टि के आरम्भ से अब तक कितने वर्ष, मास एवं दिन व्यतीत हो चुके हैं ।। वर्ष, ऋतु, ग्रहों की गति, युगों में सूर्य परिभ्रमण की संख्या, सूर्य- चन्द्र ग्रहण, तिथि, नक्षत्र, योग, करण आदि का ज्ञान सिद्धांत- गणित का विषय है ।।
फलित ज्योतिष के अन्तर्गत ग्रहों की स्थिति पर से शुभाशुभ फलों का विचार किया जाता है ।। उसके ६ भेद हैं ।।
Table of content
1. ज्योतिष क्या है ?
2. ज्योतिष की वर्णमाला
3. काल का माप
4. ग्रहों की जानकारी
5. मास और पक्ष
6. सौर मास संक्रान्ति
7. पंचांग के अंग
8. शुभ-अशुभ योग
9. पंचांग कैसे देखें ?
10. भारतीय स्टैण्डर्ड समय ( I.S.T.)बनाने की विधि
11. सूर्योदयास्त निकालना
12. लग्न साधन करना
13. वर-कन्या मेलापक विधि
14. मुहूर्त्त प्रकरण
15. होडाचक्रम्
16. पंचांग देखने की विधि
17. वेधशाला निर्माण पद्धति
Author |
Brahmvarchas |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
48 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |